मणिपुर (Manipur) में राष्ट्रपति शासन लागू होने से उग्रवाद से निपटने के लिए राज्य के नजरिए में अहम बदलाव आया है. सुरक्षा बलों ने इलाके में सक्रिय उग्रवादी समूहों पर कार्रवाई शुरू कर दी है. यह कदम कई महीनों तक बढ़ती हिंसा और अराजकता के बाद उठाया गया है, जिसके कारण केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ा.
एक हफ्ते के अंदर ही एक सीनियर लीडर सहित 30 से ज्यादा उग्रवादियों को गिरफ्तार किया गया है. हिरासत में लिए गए उग्रवादी घाटी-आधारित उग्रवादी समूहों जैसे कि कांगलीपाक कम्युनिस्ट पार्टी (KCP), पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA), PREPAK और KYKL के साथ-साथ कुकी नेशनल आर्मी (KNA) और यूनाइटेड नेशनल कुकी आर्मी (UNKA) जैसे कुकी उग्रवादी समूहों के कई गुटों से ताल्लुक रखते हैं.
सुरक्षा बलों ने क्या बरामद किया?
सुरक्षा बलों ने हथियारों और विस्फोटकों का एक बड़ा जखीरा भी बरामद किया है. मणिपुर के विभिन्न जिलों में चलाए गए अभियानों के दौरान कम से कम 15 इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IEDs), एचके राइफल, इंसास राइफल और एके-सीरीज राइफल जैसे अत्याधुनिक स्वचालित हथियार जब्त किए गए हैं.
15 फरवरी को एक बड़ी सफलता तब मिली जब सुरक्षा बलों ने टेंग्नौपाल जिले में एक ठिकाने की खोज की, जिससे स्वचालित हथियारों और IED का एक भंडार बरामद हुआ. खुफिया सूत्रों के मुताबिक, विद्रोही प्रमुख स्थानों पर समन्वित हमलों की योजना बना रहे थे.
16 फरवरी को, इंफाल ईस्ट, चुराचांदपुर और काकचिंग जिलों में छापों में कई गिरफ्तारियां हुईं. गिरफ्तार किए गए लोग पीएलए और पीआरईपीएके संगठनों से जुड़े थे.
17 फरवरी को, उग्रवाद की स्थिति का आकलन करने और राष्ट्रपति शासन के तहत आगे के अभियानों की रणनीति बनाने के लिए राज्य पुलिस, केंद्रीय अर्धसैनिक बलों और खुफिया एजेंसियों के बीच एक हाई लेवल सिक्योरिटी मीटिंग बुलाई गई.
18 फरवरी को ताजा खुफिया रिपोर्ट्स ने दूरदराज और सीमावर्ती इलाकों में उग्रवादी गतिविधि में बढ़ोतरी की जानकारी दी, जिसके कारण अतिरिक्त बलों की तैनाती की गई.
19-20 फरवरी को कई जिलों में सुरक्षा अभियान तेज हो गए, जिसके कारण घाटी-आधारित और पहाड़ी-आधारित विद्रोही समूहों से गिरफ्तारियों का एक नया दौर शुरू हुआ. कई जगहों से अतिरिक्त हथियार और विस्फोटक जब्त किए गए.
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सुरक्षा बलों की प्रतिक्रिया
सीनियर पुलिस अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, “खुफिया सूचनाओं के आधार पर कार्रवाई की सावधानीपूर्वक योजना बनाई गई है. विद्रोही समूह फिर से संगठित होने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन सुरक्षा बलों की कार्रवाई की वजह से कई जगहों पर उनके नेटवर्क को ध्वस्त कर दिया है. आने वाले दिनों में और भी अभियान चलाए जाएंगे.”
केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति शासन लागू करने को कानून और व्यवस्था बहाल करने के लिए एक जरूरी कदम के रूप में उचित ठहराया है. इस बीच, स्थानीय राजनीतिक नेता इस मुद्दे पर बंटे हुए हैं. कुछ नेताओं ने इस कदम का स्वागत किया और निर्णायक बताया.
आने वाले हफ्तों में और ज्यादा छापेमारी, गिरफ्तारी और हथियारों की जब्ती की उम्मीद के साथ सुरक्षा बल हाई अलर्ट पर हैं. अब जब राज्य केंद्रीय नियंत्रण में है, तो अधिकारी विद्रोह को रोकने और इलाके में शांति के लिए आधार तैयार करने के लिए सुरक्षा रणनीति बनाने का लक्ष्य बना रहे हैं.