बस्ती : जनपद बस्ती की जिला जेल में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जिसने जेल प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं जेल में बंद एक 22 वर्षीय अविवाहित महिला कैदी की 25 दिन के भीतर गर्भवती होने की पुष्टि हुई है इसके बाद जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया है
इस महिला को कलवारी थाना क्षेत्र में गैर इरादतन हत्या के एक मामले में 20 नवंबर 2024 को जेल भेजा गया था जेल में भर्ती करने से पहले उसका मेडिकल परीक्षण भी कराया गया था जिसमें गर्भवती होने की पुष्टि नहीं हुई थी लेकिन हाल में ही पेट दर्द की शिकायत के बाद जब उसे जिला अस्पताल ले जाया गया तो जांच में सामने आया कि महिला 3 महीने 12 दिन की गर्भवती है.
गर्भावस्था की पुष्टि के बाद शुरू हुई मेडिकल जांच और देखभाल
जेल अधीक्षक अंकेक्षिता श्रीवास्तव ने बताया कि महिला ने पेट दर्द की शिकायत की थी जिसके बाद जेल अस्पताल ने प्राथमिक जांच कराई जांच में संदेह होने पर उसे ओपेक हॉस्पिटल कैली भेजा गया जहां अल्ट्रासाउंड में महिला को तीन महीने 12 दिन की गर्भवती पाया गया है.
उसके बाद जेल अधीक्षक की रिपोर्ट पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा एक मेडिकल बोर्ड गठित किया गया है जिसमें स्त्रियों प्रसूत रोग विशेषज्ञ डॉक्टर शिप्रा वर्मा और मनोचिकित्सक डॉक्टर दिलीप कुमार को जांचवा काउंसलिंग के लिए नियुक्त किया गया है.
महिला कैदी ने छुपाई थी गर्भावस्था की बात
जेल अधीक्षिका के अनुसार महिला कैदी ने जानबूझकर अपने गर्भवती होने की बात छुपाई थी मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार महिला पहले से ही प्रेग्नेंट थी लेकिन उसने जेल में दाखिल होते समय यह जानकारी नहीं दी थी अब सवाल उठ रहे हैं कि मेडिकल बोर्ड द्वारा पहली बार की गई जांच में यह तथ्य सामने क्यों नहीं आया.
परिवार को दी गई जानकारी, निर्णय कैदी पर छोड़ा गया
महिला कैदी के परिजनों को इस स्थिति के बारे में जानकारी दे दी गई है। महिला के पिता और भाई वर्तमान में जेल में ही बंद है और उनसे संपर्क में है जेल प्रशासन ने बताया कि महिला कैदी अब खुद और अपने परिवार से चर्चा कर यह निर्णय लेगी कि वह गर्भावस्था को जारी रखना चाहती है या नहीं वह गर्भपात करवाना चाहती है तो कोर्ट की अनुमति के बाद मेडिकल टीम की सहायता से प्रक्रिया करवाई जाएगी.
जेल प्रशासन ने महिला कैदी की देखभाल के लिए विशेष इंतजाम किए हैं हर सप्ताह डॉक्टरों की निगरानी में उसकी जांच और काउंसलिंग की व्यवस्था की गई है पूरे मामले पर स्वास्थ्य विभाग और जेल प्रशासन की कड़ी नजर बनी हुई है.
यह मामला न सिर्फ जेल प्रशासन की सतर्कता पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि जेल में महिला कैदियों की सुरक्षा और मेडिकल जांच की प्रक्रिया को लेकर भी गंभीर चिंताएं उत्पन्न करता है अब जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि महिला कैदी की गर्भावस्था कब और किन परिस्थितियों में हुई और क्या इसमें लापरवाही हुई है या जानबूझकर तथ्यों को छुपाया गया है.