राजस्थान के बाड़मेर जिले में हुई एक विभागीय घटना ने पुलिस की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं. यहां चोहटन के डीएसपी जीवनलाल खत्री पर ड्यूटी पर तैनात अपने ही हेड कांस्टेबल को थप्पड़ मारने का आरोप लगा है. पीड़ित कांस्टेबल का नाम रामूराम मेघवाल है, जो दलित समुदाय से आते हैं. ये घटना धनाऊ इलाके से लौटते वक्त हुई, जहां दोनों के बीच किसी बात को लेकर बहस हो गई.
पीड़ित कांस्टेबल ने दावा किया कि जब उन्होंने डीएसपी की अभद्र भाषा का विरोध किया, तो गाड़ी रुकवाई गई और उन्हें थप्पड़ मारा गया. यही नहीं वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना देने के बावजूद मामला दबा दिया गया. सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक ऑडियो क्लिप में रामूराम मेघवाल आरोप लगाते सुनाई दिए. उन्हें समझौते के लिए दबाव डाला गया और अब विभाग में अलग-थलग किया जा रहा है.
दूसरी ओर डीएसपी जीवनलाल खत्री ने अपने उपर लगे सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है. उनका कहना है कि हेड कांस्टेबल लापरवाही से गाड़ी चला रहा था, जिसके चलते उन्होंने गाड़ी रुकवाई. इसके बाद दूसरी गाड़ी की व्यवस्था करके चले गए. उनका कहना है कि ये मामला वरिष्ठ अधिकारियों के सामने सुलझा लिया गया था, लेकिन अब बाहरी प्रभाव में आकर रामूराम मेघवाल झूठे आरोप लगा रहा है.
इस मामले के तूल पकड़ने के बाद राजनीति भी गरमा गई है. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) प्रमुख नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने इस घटना की कड़ी निंदा की है. बाड़मेर से कांग्रेस सांसद उम्मेद राम बेनीवाल भी सामने आए हैं. दोनों नेताओं ने सोशल मीडिया पर कहा कि इस तरह का व्यवहार पुलिस विभाग की छवि धूमिल करता है और यह सरकार की नीतियों पर भी सवाल खड़े करता है.
सांसद हनुमान बेनीवाल ने राजस्थान के मुख्यमंत्री से इस मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग की है. उन्होंने कहा कि दोषी चाहे कोई भी हो, कार्रवाई निष्पक्ष और पारदर्शी होनी चाहिए. कांग्रेस सांसद उम्मेद राम बेनीवाल ने भी मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की अपील करते हुए पीड़ित कांस्टेबल को न्याय दिलाने की बात कही है. पुलिस अधीक्षक नरेंद्र सिंह मीणा ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं.
उन्होंने एक एएसपी स्तर के एक अधिकारी को इस मामले की जिम्मेदारी सौंपी है. हालांकि, अब तक पुलिस की ओर से इस विवाद पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. इस पूरे घटनाक्रम ने पुलिस विभाग की कार्यशैली और आंतरिक अनुशासन को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. आरोपी और पीड़ित अपना-अपना पक्ष बयां कर रहे हैं, लेकिन जांच के बाद ही सच सामने आ सकता है.