ग्रामीण भारत में पोषण की गंभीर कमी, अध्ययन में सामने आए चौंकाने वाले आंकड़े…

भारत में रहने वाली अधिकांश ग्रामीण आबादी पोषक तत्वों की कमी से जूझ रही है. ऐसा नहीं है कि ग्रामीण आबादी के बाद पोषक तत्वों की कमी है, लेकिन जानकारी का अभाव उन्हें शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्वों को ग्राहणनहीं करने दे रहा है. जरूरी पोषण की कमी के कारण ग्रामीण इलाकों में कुपोषण और बीमारियों का वर्चस्व है. इस संबंध में इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट सहित दो अन्य संस्थानों देश के 6 राज्यों के 9 जिलों में अध्यन किया गया था. अमर उजाला ने इस अध्ययन की रिपोर्ट को प्रमुखता से प्रकाशित भी किया था.

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ग्रामीण इलाकों में रहने वाली अधिकांश आबादी शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्वों और प्रोटीन के लिए गेंहूऔर चावल पर ही निर्भर करती है.ऐसा नहीं है कि उनके पास जरूरी पोषक तत्वों को प्राप्त करने के और साधन नहीं है. अंडा, मांस, मछली, सूखे मेवे और फल, सब्जियां प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं. इसके बावजूद जानकारी के अभाव में अधिकांश ग्रामीण आबादी शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्व नहीं लेती है.

आर्थिक समस्या भी है

कुछ इलाकों में यह भी देखा गया कि आर्थिक परेशानी के कारण ग्रामीण जरूरी पोषक तत्व नहीं लेते हैं. हालांकि यह संख्या बहुत कम है फिर भी पोषक तत्वों के अभाव में कुपोषण और बीमारियों की अधिकता इस आबादी में काफी ज्यादा देखी गई है. जो लोग आर्थिक रूप से कमजोर नहीं हैं. उनमें शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्वों की जरूरत की जानकारी का अभाव है. जानकारी के अभाव में ग्रामीण जरूरी पोषक तत्व नहीं लेते हैं. गंभीर बात यह है भी कि उन्हें जानकारी देने वालों की भी कमी है.

शरीर को कितना प्रोटीन चाहिए

अध्यन के अनुसार व्यक्ति को आयु के अनुसार प्रोटीन की जरूरत होती है. 50 वर्ष तक प्रत्येक व्यक्ति को अपने वजन के अनुसार प्रोटीन की जरूरत होती है. शरीर के वजन के प्रति किलो के अनुसार .75 ग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है. 50 वर्ष के अधिक आयु वालों के लिए यह मानक एक ग्राम का है. यदि किसी का वजन 75 किलो है तो उसे दिन भर में 62 से 65 ग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है. ग्रामीण आबादी में जानकारी का अभाव, आर्थिक परेशानी और मान्यताओं के कारण शरीर के लिए जरूरी प्रोटीन को नहीं लिया जाता है.

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