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रांची में सर्वर, नेपाल में दफ्तर और रजिस्टर्ड कंपनी… दिल्ली में बैठा मास्टरमाइंड चला रहा था ठगी का रैकेट

बिहार के रक्सौल से महज 60 किलोमीटर दूर हेटौडा में फ्लैट किराए पर लेकर मेडी असिस्ट नाम की कंपनी का दफ्तर खोला गया. यहां ऑनलाइन मेडिकल परामर्श देने की बात कही जा रही थी. दफ्तर खोलने के लिए कंपनी का रजिस्ट्रेशन कराया गया था, लेकिन स्वास्थ्य संबंधी परामर्श की आड़ में यहां कुछ और ही खेल चल रहा था. यहां लोगों के साथ ऑनलाइन ठगी की जा रही थी. इस रैकेट का मास्टरमाइंड दिल्ली में बैठकर गैंग चला रहा था.

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हेटौडा के एसपी सीताराम रिजाल ने बताया कि सूचना मिली थी कि कुछ बाहर के लड़के फ्लैट में गैरकानूनी गतिविधि कर रहे थें. इसके बाद छापा मारकर 12 लड़कों को पकड़ा गया है. एसपी ने बताया कि पकडे़ गए युवक बिहार और झारखंड के हैं, एकाध युवक दिल्ली का है.स्वास्थ्य सेवा परामर्श के नाम पर यहां ऑनलाइन ठगी हो रही थी.

पुलिस ने बताया कि दिल्ली के रहने वाले द्रविन कुमार सिंह के नाम पर नेपाल में ‘मेडीअसिस्ट’ नाम की कंपनी रजिस्टर्ड कराई गई थी. पुलिस ने इस कंपनी में काम करने वाले पटना आलमगंज के 28 वर्षीय नवनीत कुमार, झारखंड के 27 वर्षीय शाहरुख खान, पटना के ही 29 वर्षीय कुंदन कुमार, नैनीताल उत्तराखंड के 26 वर्षीय आशीष कब्डौला, रांची के 34 वर्षीय विशाल, 38 वर्षीय लोकेश कुमार दुबे, 29 वर्षीय विकास कुमार सिंह, नांगलोई वेस्ट दिल्ली के 28 वर्षीय अरुण कुमार और गजियाबाद के 40 वर्षीय कुणाल शर्मा को पकड़ा गया है.

पुलिस ने बताया कि इस ठगी गैंग के मास्टरमाइंड सहित तीन लोग फरार हैं. एसपी रिजाल ने कहा कि यहां परामर्श के नाम पर ऑनलाइन जुआ, ऑनलाइन सट्टेबाजी, गिफ्ट का लालच देकर ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर कराने और क्रिप्टोकरेंसी के नाम पर ठगी की जा रही थी. इस कंपनी के कर्मचारियों को 18 हजार रुपये प्रतिमाह से 50 हजार रुपये महीने तक देने की बात कही गई, लेकिन इस तरह का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला.

प्रारंभिक जांच से पता चला कि झारखंड के रांची में स्थित हेड ऑफिस में मेन सर्वर लगाकर ठगी का यह धंधा ‘क्विक कॉल क्लाइंट सॉफ्टवेयर’ के माध्यम से चलाया जा रहा था. इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से टारगेट की पहचान कर उसकी जानकारी नेपाल से रांची भेजी जा रही थी. ठगी के शिकार सिर्फ नेपाल ही नहीं, भारत समेत कुछ और देशों के नागरिक हो रहे थे. छापेमारी के दौरान 13 मोबाइल फोन, 7 लैपटॉप, 3 राउटर, 1 हार्डडिस्क, 1 वेब कैम, मेडी असिस्ट के डायरेक्टर के नाम से बनाई गई 2 पेपर स्टांप मिले.

एसपी ने बताया कि ये कंपनी 22 फरवरी 2024 को हेटौडा के कंपनी रजिस्ट्रार ऑफिस में दर्ज कराई गई थी. मेडी असिस्ट नाम की कंपनी के दस्तावेज में मेडिकल संबंधी परामर्श देने की बात कही गई थी. इसमें 12 लोग कार्यरत थे. सभी भारत के नागरिक हैं. इनको नौकरी के लिए नेपाल भेजा गया, लेकिन इनमें से किसी के पास भी कोई नियुक्ति पत्र नहीं है. ये सभी इसी कंपनी के हैं, इसकी कोई आइडेंटिटी नहीं है.

कंपनी के कर्मचारी की तनख्वाह 18 हजार से 50 हजार रुपये तक दिखाई गई, लेकिन कहीं भी इसका प्रमाण या ट्रांजेक्शन रिकॉर्ड नहीं मिला है. ये सभी यहां आलीशान तरीके से दफ्तर चला रहे थे. फ्लैट लेकर रह रहे थे. इनका जो खर्च का हिसाब मिला है, उसके मुताबिक महीने 15 लाख रुपये से अधिक का खर्च दिखता है. आखिर इतना पैसा कहां से आता था, कहीं भी इसका रिकॉर्ड नहीं है. इनको तनख्वाह कहां से दी जाती थी, इसका भी कोई रिकॉर्ड नहीं है.

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