धमतरी : जिला अस्पताल में मरीजों के मसीहा कहे जाने वाले डॉक्टर संजय वानखेड़े 30 अगस्त को सेवानिवृत्त हो गए. जिस पर उन्हें बाजे गाजे और आतिशबाजी के साथ धूमधाम से विदाई दी गई.डा संजय वानखेड़े के सेवानिवृत्त होने के बाद अब जिला अस्पताल धमतरी का संचालन यहां पदस्थ अन्य डाक्टरों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है.
क्योंकि यहां के अधिकांश मरीजों का उपचार इस डाक्टर के भरोसे था.पूरा समय मरीजों से घिरा रहता था.लेकिन अब मरीजों को भी इस डाक्टर की कमियां खलेगी.
बता दें कि धमतरी जिला अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर संजय वानखेड़े लोगों में काफी लोकप्रिय थे, जो अपने हंसमुख मिजाज और मरीजों की पूरी लगन से सेवा करने के लिए जाने जाते थे.धमतरी जिला नहीं बल्कि आसपास जिले के मरीज भी इनके पास इलाज कराने के लिए आते थे.जिला अस्पताल में सबसे ज्यादा भीड़ इसी डॉक्टर के चेंम्बर में रहता था.इसके अलावा दो अन्य कर्मचारी भी सेवानिवृत्त हुए है.
एमडी स्पेशलिस्ट वानखेड़े की है अलग पहचान:
जिला अस्पताल धमतरी में पदस्थ रहकर सालों से अपनी सेवा देते रहे सरल व सहज स्वाभाव के एमडी स्पेशलिस्ट डॉ. संजय वानखेड़े ने अपनी बेहतरीन चिकित्सा सेवा से हजारों मरीजों और उनके परिजनों के दिलों में जगह बना ली है.अस्पताल में पदस्थ वे एक ऐसे डॉक्टर हैं, जो मरीजों के उपचार के लिए कभी भी ड्यूटी का समय नहीं देखते थे.24 घंटों में कभी भी मरीजों के जान बचाने गहरी नींद में हो या कोई मुसीबत में, सूचना मिलने पर उपचार के नाम पर तत्काल अस्पताल पहुंचते थे.किसी तरह कोई बहाना नहीं बनाते.
जिला अस्पताल पहुंचने वाले सभी प्रकार के 70 प्रतिशत मरीज इनके पास उपचार कराते थे। डॉक्टर का कक्ष हर रोज मरीजों से भरा रहता है या लंबी कतार लगी रहती थी.उपचार में वे इतने व्यस्त रहते हैं कि शरीर पसीना से तरबतर हो जाता है.दवाई लिखने के कारण कलम चलाते हाथ व जेब स्याही से रंग जाती थी.घड़ी के काटे में दोपहर तीन बज जाए या चार बज जाए, उन्हें परवाह नहीं रहती.वे तब तक घर नहीं जाते, जब तक उनके पास आए सभी मरीजों की जांच व उपचार न कर लें। इन सब कारणों से उनकी एक अलग पहचान है.
धमतरी में 19 साल 5 महीने दी सेवाएं:
मालूम हो कि डा संजय वानखेड़े का जन्म मध्यप्रदेश के ग्वालियर में हुआ है.साल-1984 में उसने नौकरी की शुरूआत जैजैपुर पीएचसी केंद्र से की.41 साल के नौकरी में उन्होंने 19 साल पांच महीने धमतरी जिला अस्पताल में सेवा देकर बिताए.एक बार जब उनका तबादला बालोद हुआ, तो यहां की जनता ने सड़क में उतर कर उन्हें वापस बुलाने आंदोलन किया.सालभर बाद पुन: धमतरी आ गए. डा संजय वानखेडे़ ने कहा कि पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण संविदा में नहीं आएंगे। वे जनभावनाओं के अनुरूप तीन दिन धमतरी में आकर अपनी सेवाएं निजी तौर पर देंगे.