7 छात्राओं ने दिखाई हिम्मत, SDM से की खराब रोड की शिकायत… अब 50 लाख का बजट हुआ पास

कहते हैं कि बदलाव की राह पर कदम बढ़ाने के लिए सिर्फ हिम्मत चाहिए. इसका उदाहरण जालौन जिले की कोंच तहसील के ग्राम चमेड़ की बेटियों ने पेश किया है. आठ साल से जर्जर सड़क की दुर्दशा से परेशान होकर छात्राओं ने जब खुद आगे बढ़कर अधिकारियों से शिकायत की तो न सिर्फ आवाज सुनी गई बल्कि अब उस सड़क के निर्माण के लिए 49.85 लाख का बजट भी पास हो गया है. इस खबर ने ग्रामीणों के चेहरों पर मुस्कान ला दी वहीं बेटियों के हौसले को सलाम करने का मौका दे दिया है.

जालौन के कोंच तहसील मुख्यालय से लगभग छह किलोमीटर दूर स्थित चमेड़ गांव की आबादी करीब ढाई हजार है. गांव से लेकर जुझारपुरा तक जाने वाली मंडी समिति की सड़क बीते आठ सालों से पूरी तरह जर्जर थी. सड़क पर जगह-जगह गड्ढे होने से लोगों का आना-जाना मुश्किल हो चुका था. सबसे ज्यादा परेशानी स्कूली छात्राओं को झेलनी पड़ रही थी. कई बार छात्राएं सड़क पर गिरकर चोटिल भी हो गईं. बावजूद इसके गांव में कोई भी इस समस्या को लेकर आगे नहीं आया.

SDM को बताई अपनी समस्या

लेकिन गांव की बेटियों ने चुप्पी तोड़ी. छात्राओं कविता, दीक्षा, शिल्पी, साक्षी, सेजल, नंदिनी और चंचल ने दो महीने पहले एसडीएम कोंच ज्योति सिंह और मंडी सभापति को शिकायती पत्र सौंपकर अपनी समस्या बताई. बेटियों की यह पहल रंग लाई. एसडीएम ने मामले को गंभीरता से लेते हुए मंडी समिति से प्रस्ताव बनवाया और शासन को भेजा.

जिसके बाद एसडीएम ज्योति सिंह स्वयं मंडी सचिव सोनू के साथ गांव पहुंचीं और ग्रामीणों तथा बच्चों को यह खुशखबरी दी कि सड़क निर्माण के लिए 49.85 लाख रुपये का बजट पास हो गया है. उन्होंने बताया कि चमेड़ से जुझारपुरा तक 1.46 किलोमीटर लंबी डामर सड़क बनाई जाएगी. दो माह के भीतर टेंडर प्रक्रिया पूरी कराकर सड़क निर्माण का काम शुरू कर दिया जाएगा.

बेटियों की हो रही जमकर तारीफ

इस ऐलान के बाद ग्रामीणों में खुशी की लहर दौड़ गई. बेटियों की पहल को पूरे गांव ने सराहा. ग्रामीणों का कहना है कि सालों से इस सड़क की दुर्दशा झेलनी पड़ रही थी लेकिन छात्राओं ने साहस दिखाकर वह काम कर दिया जो बड़े-बुजुर्ग भी नहीं कर पाए.

एसडीएम ज्योति सिंह ने छात्राओं की तारीफ करते हुए कहा कि बेटियां आज किसी भी मामले में पीछे नहीं हैं. उन्होंने अपने हक और गांव के विकास के लिए आवाज उठाकर एक मिसाल कायम की है. यह पहल समाज को भी संदेश देती है कि समस्याओं को नजरअंदाज करने के बजाय अगर लोग आगे बढ़कर आवाज उठाएं तो समाधान जरूर मिलता है.

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