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ब्रेस्ट, फेस जैसी कई सर्जरी, डेढ़ साल का वक्त… ऐसे किसी लड़के का होता है सेक्स चेंज!

मैं दिखती लड़के जैसी हूं और मगर मैं हूं लड़की… ऐसे ही कुछ दावे करने के बाद कई लोग अपना जेंडर चेंज करवा लेते हैं यानी लड़के से लड़की बन जाते हैं या लड़की से लड़का. ऐसी ही कई कहानियां आपने सुनी होंगी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक बार जेंडर चेंज करवाने में कितना समय और पैसा लगता है. जेंडर चेंज करवाना अब आम है और कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा के हिसाब से अपने लिए जेंडर का चयन कर सकते हैं. तो आज समझते हैं कि आखिर कौन जेंडर चेंज करवा सकता है और इसका क्या प्रोसेस है और जानते हैं इससे जुड़े हर एक सवाल का जवाब…

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कौन करवा सकता है जेंडर चेंज?

जेंडर चेंज से जुड़े हर सवाल का जवाब देने के लिए हमने बात की डॉक्टर नरेंद्र कौशिक से, जो सेक्स रीअसाइनमेंट सर्जरी के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने बताया कि कोई भी 18 साल से ज्यादा उम्र के व्यक्ति की सेक्स चेंज सर्जरी की जा सकती है. अगर कोई माइनर है तो इसके लिए सायकायट्रिस्ट और साइकोलॉजिस्ट के जरिए पहले काउंसलिंग दी जाती है.

इसके साथ ही अन्य लोगों को भी सर्जरी से पहले सायकायट्रिस्ट और साइकोलॉजिस्ट से बात करने के लिए कहा जाता है और वो जेंडर चेंज के लिए एक तरह से अप्रूवल देते हैं. इसके लिए जेंडर डिस्फोरिया या जेंडर इन्कॉन्ग्रुएंस का पता किया जाता है, जिसमें जन्म से मिले लिंग और लैंगिक पहचान आदि में अंतर होने का पता किया जाता है.

क्या कोई टेस्ट करवाने होते हैं?

डॉक्टर के अनुसार, ऐसे कोई टेस्ट नहीं है, जिससे यह तय किया जाए कि जेंडर चेंज करवाने की जरूरत है या नहीं. इसके लिए सिर्फ सायकायट्रिस्ट और साइकोलॉजिस्ट के एक सर्टिफिकेट की आवश्यकता होती है.

क्या है सर्जरी का प्रोसेस?

डॉक्टर के अनुसार, जेंडर चेंज करने का प्रोसेस ‘हॉर्मोनल थेरेपी’ से शुरू होता है. सबसे पहले जिन हार्मोन की जरूरत होती है, उसकी मात्रा शरीर में पूरी की जाती है और दवाइयों के जरिए उन्हें शरीर में पहुंचाया जाता है. हार्मोन की मात्रा मिलने के बाद जेंडर रिलेटेड बदलाव दिखने लगते हैं और फिर सर्जरी की जाती है. सर्जरी किस तरह की होगी और कैसे होगी ये निर्भर करता है कि आखिर किस जेंडर में बदलाव किया जाना है.

अगर मान लीजिए किसी लड़के को लड़की में जेंडर चेंज करना है तो इसके लिए करीब 4 सर्जरी की जाती हैं. इन चार सर्जरी में वोकल सर्जरी, जेनिटल सर्जरी (प्राइवेट पार्ट सर्जरी), फेस सर्जरी और ब्रेस्ट सर्जरी शामिल है. एक-एक करके सभी सर्जरी की जाती है और इन सभी सर्जरी में करीब डेढ़ साल का वक्त लगता है. वोकल सर्जरी में आवाज को बदला जाता है, फेस सर्जरी में चेहरे पर फीमेल से जुड़े बदलाव किए जाते हैं, ब्रेस्ट सर्जरी में ब्रेस्ट क्रिएशन को लेकर काम होता है और जेनिटल सर्जरी में मेल प्राइवेट पार्ट्स रिमूव किए जाते हैं और महिला प्राइवेट पार्ट बनाए जाते हैं.

इन सर्जरी में भी कई तरह की कैटेगरी होती हैं. एक बार चारों सर्जरी होने के बाद करीब 2 महीने बाद जीवन काफी सामान्य हो जाता है और फिजिकल रूप से शख्स फिट हो जाता है.

क्या मां बन सकती हैं?

जब कोई लड़का जेंडर चेंज करवाता है तो वो मां नहीं बन सकता. लेकिन सरोगेसी या बच्चा गोद लेने के विकल्प हमेशा मौज़ूद हैं. डॉक्टर के अनुसार, लड़के से लड़की बनी महिलाएं सामान्य महिलाओं की तरह संबंध बना सकती हैं.

कितना तकलीफदेह होता है?

डॉक्टर के अनुसार, ये सामान्य सर्जरी की तरह होता है. जो समस्याएं या दर्द सामान्य सर्जरी में होता है, वैसा ही इन सर्जरी में होता है. इसके साथ ही सामान्य सर्जरी की तरह रिकवर होने में थोड़ा वक्त लगता है. ये किसी व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वो कितना दर्द सहन कर सकते हैं.

क्या किसी कानूनी सहमति की जरूरत होती है?

डॉक्टर ने बताया कि सेक्स चेंज करवाने के लिए किसी भी कानूनी खानापूर्ति की आवश्यकता नहीं है. व्यक्ति अपने विवेक और अपनी इच्छा से अपने लिंग का परिवर्तन करवा सकता है.

कितना होता है खर्चा?

अगर खर्चे की बात करें तो ये आपके ट्रीटमेंट पर निर्भर करता है और ये भी निर्भर करता है कि कहां से सर्जरी करवा रहे हैं. कई तरह की सर्जरी होती है और अलग-अलग हॉस्पिटल की अलग-अलग रेट है. अगर अंदाजा लगाएं तो इस प्रोसेस मे 4-5 लाख से 20 लाख रुपये तक का खर्च हो जाता है.

क्या कहता है कानून?

जेंडर चेंज करवाने को लेकर कानून क्या कहता है, इसे लेकर दिल्ली हाईकोर्ट के एडवोकेट प्रेम जोशी ने बताया कि सेक्स रीअसाइनमेंट सर्जरी एक मेडिकल प्रोसेस है, जिसे भारत में कोई भी शख्स स्वतंत्र रूप से करवा सकता है और अपनी इच्छा के अनुसार अपने शरीर की सर्जरी करवा सकता है. बिधान बरुआ केस (2012) में, मुंबई हाइकोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो भारत में लिंग परिवर्तन सर्जरी पर रोक लगाता हो. कोई भी वयस्क, जो 18 साल से ऊपर हो वो जेंडर चेंज करवा सकता है.

ट्रांसजेंडर पर्सन्स (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) एक्ट 2019 के सेक्शन 7 के अनुसार, सर्जरी करवाने वाले शख्स को सर्जरी के बाद रिवाइज्ड सर्टिफिकेट के लिए जिला मजिस्ट्रेट को एप्लीकेशन देनी होती है. इसमें सर्जरी से जुड़े दस्तावेज वहां सब्मिट करने होते हैं. नए सर्टिफिकेट के बाद उनके अधिकारों पर कोई असर नहीं पड़ता है. ऐसे में कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा से लिंग परिवर्तन करवा सकता है.

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