शहबाज-मुनीर ने अपने मालिक को खुश करने के लिए देश बेच दिया’, नोबेल के लिए ट्रंप की सिफारिश पर भड़के पाकिस्तानी 

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए नोबेल शांति पुरस्कार की मांग करने पर पाकिस्तान सरकार के साथ-साथ उसकी सेना को सोशल मीडिया पर कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने नॉर्वे में नोबेल शांति पुरस्कार समिति को औपचारिक रूप से एक पत्र भेजा है, जिसमें हाल ही में भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान ‘निर्णायक कूटनीतिक हस्तक्षेप’ के लिए अमेरिकी

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एक यूजर ने एक्स पर कहा, ‘पाकिस्तानियों, सावधान! ईरान पर हमले के बाद, पीएम शहबाज न केवल राष्ट्रपति ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित करने की पैरवी कर सकते हैं, बल्कि उन्हें तमगा-ए-जुरात (साहस का पदक), तमगा-ए-शुजात (बहादुरी का पदक), तमगा-ए-बसालत (वीरता का पदक), तमगा-ए-इम्तियाज (उत्कृष्टता का पदक) और शायद निशान-ए-हैदर (पाकिस्तान का सर्वोच्च सैन्य सम्मान) भी प्रदान कर सकते हैं.’

पाकिस्तानी पत्रकार अमीर अब्बास ने कहा, ‘वही ट्रंप जिसकी तुलना पीएमएल-एन के वरिष्ठ नेता ख्वाजा साद रफीक ने एक बार चंगेज खान और हिटलर से की थी- कल रात, उसी पीएमएल-एन सरकार ने उन ‘चंगेज खान और हिटलर’ को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया. ऐसे शर्मनाक और कायरतापूर्ण फैसले कौन ले रहा है?’ उन्होंने पूछा, ‘नवाज शरीफ और आसिफ जरदारी अमेरिकी राष्ट्रपति को खुश करने के लिए किस हद तक जा सकते हैं- देश, व्यवस्था, संसद, संविधान, लोकतंत्र और राजनीतिक परंपराओं को रसातल में फेंक देंगे?’

राजनीतिक विश्लेषक और स्तंभकार राहीक अब्बासी ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि जिस डोनाल्ड ट्रंप का पश्चिमी देश युद्ध अपराधों के लिए विरोध कर रहे थे, उसी को इस्लामिक गणराज्य पाकिस्तान ने नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया है. उन्होंने पूछा, ‘क्या उन लोगों में सम्मान या मानवता की कोई भावना है जिन्होंने ट्रंप को नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किया, जिन्होंने गाजा युद्ध विराम प्रस्ताव पर 8 बार वीटो लगाया था?’ एक अन्य इंटरनेट यूजर ने तंज कसते हुए कहा,’सरकार इस पुरस्कार के लिए इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को नामित कर सकती थी, लेकिन शुक्र है कि ट्रंप को चुना गया. यह भी संभव है कि नेतन्याहू को अगली श्रेणी के लिए चुना गया हो.’

जर्जीस अहमद नामक व्यक्ति ने कहा, ‘हम फिलिस्तीनियों के नरसंहार में शामिल व्यक्ति को नोबेल शांति पुरस्कार देने की सिफारिश कर रहे हैं, और साथ ही, हम ईरान के साथ खड़े होने का दावा भी करते हैं. यह पाखंड की चरम सीमा है. मेजर (सेवानिवृत्त) असीम ने पाकिस्तानी सेना पर अपनी इच्छानुसार निर्णय लेने का आरोप लगाया और कहा कि देश के ‘बेताज बादशाह’ जब चाहें देश को बेचने के लिए तैयार रहते हैं. एक अन्य सोशल मीडिया यूजर आमिर खान ने कहा, ‘शाहबाज शरीफ, आसिफ जरदारी, नवाज शरीफ और असीम मुनीर ने मुसलमानों के नरसंहार के लिए जिम्मेदार आतंकवादी डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किया है. मुसलमानों, हमारे देश और पाकिस्तान के लोगों के साथ इससे बड़ा विश्वासघात और क्या हो सकता है? राष्ट्र को उन्हें जवाबदेह ठहराना चाहिए

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