शशि थरूर का सितारा बुलंद है. पहलगाम अटैक के बाद से देश में अगर कोई उनको टक्कर दे रहा है, तो वो हैं असदुद्दीन ओवैसी. बाकी कोई नहीं. और, ये दोनों ही नेता विदेशों में पाकिस्तान की पोल खोल में जुटे हुए हैं – और घूम-घूम कर पूरी दुनिया को ऑपरेशन सिंदूर में भारत के स्टैंड और पाकिस्तान के दावे पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सामने सही तस्वीर पेश कर रहे हैं.
विदेश दौरे पर होने के बावजूद शशि थरूर की घरेलू राजनीति में भी चर्चा जोरों पर है. खासकर केरल की राजनीति में. शशि थरूर ने चर्चा की नींव पहले ही रख दी थी. एक तरफ शशि थरूर राष्ट्रवादी माहौल में छाये हुए थे, और ऐन उसी वक्त वो मौके का सही इस्तेमाल करते हुए सोशल मीडिया का इस्तेमाल अपने इलाके की राजनीति के लिए कर रहे थे.
शशि थरूर ने एक ही सोशल मीडिया पोस्ट से एक साथ तीन-तीन निशाने साध लिये. मामला भी माहौल को सूट कर रहा था. फिर फायदा तो कोई भी उठाना चाहता, शशि थरूर तो वैसे भी आने वाले केरल विधानसभा चुनाव पर नजर टिकाये हुए हैं.
23 मई को शशि थरूर ने X पर एक पोस्ट लिखा जिसमें तुर्किए को दी गई ₹10 करोड़ की मदद के लिए केरल की लेफ्ट सरकार को टार्गेट किया, और उसे सीधे वायनाड से जोड़ दिया. एक ऐसा मुद्दा जिसमें एक तीर से तीन निशाने साधे जा सकते थे.
देखा जाये तो शशि थरूर के ये मुद्दा अब उठाये जाने का कोई असर नहीं है, लेकिन राजनीति में तो बहती गंगा में ऐसे भी हाथ धो लेने का फायदा मिलता ही है. बशर्ते, कोई दूर की कौड़ी बैठे बैठे खेलने की कोशिश करे.
शशि थरूर ने राष्ट्रवाद का एजेंडा आगे बढ़ा दिया
शशि थरूर ने केरल की पी. विजयन सरकार को जो मुद्दा उठाकर टार्गेट किया है, वो दो साल पुराना है. लेकिन, पहलगाम अटैक के बाद ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्किए के पाकिस्तान के पक्ष में खड़े हो जाने के कारण मुद्दा गंभीर है. पाकिस्तान के सपोर्ट के कारण तुर्किए के सामानों का पूरे देश में विरोध हो चुका है, और शशि थरूर ने भी उसी गर्म माहौल में सोशल मीडिया के जरिये एक बयान जारी कर दिया है.
असल में, 2023 में तुर्की में आये भूकंप के बाद केरल सरकार ने मानवीय आधार पर 10 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद भेजी थी. शशि थरूर अब उसी बात के लिए सवाल उठा रहे हैं. 2023 में तुर्की और सीरिया में आये 7.8 तीव्रता के भूकंप के बाद भारत ने ऑपरेशन दोस्त चलाया था. ऑपरेशन के तहत तुर्की और सीरिया को मानवीय सहायता भेजी गई थी.
केरल की लेफ्ट सरकार ने भी तभी तुर्की को ₹10 करोड़ की वित्तीय सहायता दी थी, जिसे राज्य के बजट में भी घोषित किया गया था. ये आर्थिक मदद विदेश मंत्रालय के माध्यम से तुर्की को दी गई थी. केरल सरकार ने इसे मानवीय आधार पर दी गई मदद बताया था.
ताजा माहौल में शशि थरूर ने उसी मामले को हवा देने की कोशिश की है. सोशल साइट एक्स पर शशि थरूर ने लिखा है, मुझे उम्मीद है, दो साल बाद तुर्की के व्यवहार को देखते हुए केरल सरकार अपनी अनुचित उदारता पर विचार करेगी… ये बताने की जरूरत तो नहीं है कि वायनाड के लोग उन ₹10 करोड़ का कहीं बेहतर इस्तेमाल कर सकते थे.
शशि थरूर के राजनीतिक बयान पर केरल सरकार की तरफ से कड़ी प्रतिक्रिया आई है. केरल के वित्त मंत्री केएन बालागोपाल ने कहा है, तुर्की को वो सहायता विदेश मंत्रालय के जरिये दी गई थी… 2023 की घटना को 2025 के सीमा संकट से जोड़ना गलत है… 2023 में केरल ने मानवीय आधार पर तुर्की का समर्थन किया था… अब दो साल बाद, तुर्की को दी गई मदद की गलत व्याख्या करना सही नहीं है.
वायनाड के बहाने कांग्रेस की बात
शशि थरूर ने बड़ी ही समझदारी से दो साल पुराने वाकये को ताजा घटनाक्रम में जोड़ कर पेश कर दिया है. तुर्किए को जो रकम दी गई, वो एक मुश्त थी. मतलब, पहले ही दी जा चुकी है. तब की बात और थी. तुर्किए के खिलाफ अब स्टैंड बदला है, लेकिन तब केंद्र सरकार ने भी हर संभव मदद की थी. केरल ने एक्स्ट्रा किया, ऐसा शशि थरूर समझाने की कोशिश कर रहे हैं.
वायनाड में भी जुलाई, 2024 में लैंडस्लाइड की घटना हुई थी, जिसमें जान-माल का काफी नुकसान हुआ था. और उसी घटना को शशि थरूर तुर्किए के भूकंप से जोड़ते हुए केरल की लेफ्ट सरकार को निशाना बना रहे हैं. वायनाड का अलग ही राजनीतिक महत्व है. राहुल गांधी को वायनाड के लोगों ने लोकसभा ऐसी मुश्किल घड़ी में भेजा था जब अमेठी में लड़ाई मुश्किल हो गई थी, और आखिरकार हार तक का मुंह देखना पड़ा था. अब प्रियंका गांधी वायनाड का लोकसभा में प्रतिनिधित्व करती हैं, शशि थरूर ने यही सोचकर खासतौर पर वायनाड का जिक्र किया है.
एक साधे सब सधे
शशि थरूर की तुर्किए वाली पोस्ट पर सीपीएम के राज्यसभा सदस्य जॉन ब्रिटास की तरफ से भी प्रतिक्रिया आई है. जॉन ब्रिटास भी विदेश दौरे पर गये सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं, और शशि थरूर को जवाब भी सोशल मीडिया के जरिये ही दिया गया है.
जॉन ब्रिटास लिखते हैं, शशि थरूर के लिए मेरे मन में काफी सम्मान है, लेकिन ये टिप्पणी एकतरफा याददाश्त की निशानी लक्षण है. ये हास्यास्पद और हैरान करने वाला है… केरल को नीचा दिखाने की कोशिश है. वो अच्छी तरह जानते हैं कि मोदी सरकार ने खुद तुर्की की मदद के लिए ‘ऑपरेशन दोस्त’ शुरू किया था.
शशि थरूर ने जो कहा है, उसका सिर्फ राजनीतिक मतलब है, व्यावहारिक तौर पर अब कुछ भी नहीं होने वाला है.
1. शशि थरूर जानते हैं कि केरल की पी. विजयन सरकार निशाने पर हो, तो सभी का फायदा है. बीजेपी और कांग्रेस के साथ साथ अपना भी फायदा है.
2. पी. विजयन लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं, और अब तीसरी पारी की तैयारी है, ये हमला उनकी हैट्रिक रोकने की कोशिश है. बीजेपी भी यही चाहती है, और कांग्रेस भी.
3. शशि थरूर लगातार तीन बार से केरल के तिरुवनंतपुरम से सांसद हैं, और 2024 में बीजेपी उम्मीदवार राजीव चंद्रशेखर से जोरदार टक्कर मिलने के बावजूद अपनी जगह जमे हुए हैं – देखा जाये, तो फिलहाल जो भी वो कर रहे हैं, और भी मजबूती देने वाला है.