नई दिल्ली:कांग्रेस सांसद और वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वैश्विक मंच पर भूमिका की खुले तौर पर सराहना की है। थरूर ने एक अंग्रेजी अखबार में लिखे कॉलम में पीएम मोदी को भारत की ऊर्जा, गतिशीलता और इच्छाशक्ति का प्रतीक बताते हुए उन्हें देश का “प्राइमरी एसेट” (मुख्य संपत्ति) कहा।
ऑपरेशन सिंदूर पर समर्थन और अंतरराष्ट्रीय प्रभाव
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रूप में विदेश यात्रा करने वाले थरूर ने मिशन के उद्देश्यों पर जोर देते हुए लिखा कि भारत की कार्रवाई आत्मरक्षा की एक उचित और आवश्यक प्रतिक्रिया थी। उन्होंने कहा,
“हमने दुनिया को सावधानीपूर्वक समझाया कि यह ऑपरेशन लगातार जारी सीमापार आतंकवाद के खिलाफ भारत की आत्मरक्षा का एक ठोस प्रयास था।“
थरूर का कहना है कि भारत की यह रणनीति सफल रही और कई देशों की राजधानी में भारत को लेकर रुख में सकारात्मक बदलाव देखने को मिला।
पीएम मोदी को बताया “भारत की वैश्विक ताकत”
थरूर ने कॉलम में यह स्वीकार किया कि प्रधानमंत्री मोदी की ऊर्जा, वैश्विक भागीदारी और निर्णायक इच्छाशक्ति ने भारत की विदेश नीति को मजबूती दी है। हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस नेतृत्व को और व्यापक सपोर्ट सिस्टम की जरूरत है ताकि भारत की वैश्विक छवि और सशक्त हो सके।
‘तीन टी’ को बताया भविष्य की रणनीति की दिशा
थरूर ने अपनी अंतरराष्ट्रीय यात्रा के अनुभव साझा करते हुए लिखा कि भारत को तकनीक (Technology), व्यापार (Trade) और परंपरा (Tradition) – इन “3T” को केंद्र में रखकर अपनी वैश्विक रणनीति विकसित करनी चाहिए। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि एकता, स्पष्ट संवाद, सॉफ्ट पावर और सार्वजनिक कूटनीति आने वाले समय में भारत का मार्गदर्शन करेंगे।
कोलंबिया ने बदला बयान, थरूर के हस्तक्षेप से असर
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान में मारे गए लोगों को लेकर शोक व्यक्त करने वाले कोलंबिया के बयान पर थरूर ने आपत्ति जताई थी। उनके विरोध के बाद कोलंबिया ने अपना बयान वापस ले लिया। थरूर ने स्पष्ट किया कि आतंकवादियों और आत्मरक्षा कर रहे सैन्य बलों के बीच नैतिक रूप से कोई समानता नहीं हो सकती।भले ही थरूर को अपनी पार्टी कांग्रेस के भीतर आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा हो, लेकिन वे अपने रुख पर डटे हुए हैं। उनकी यह मुखर भूमिका बताती है कि वह राष्ट्रीय हित और वैश्विक कूटनीति के मामले में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सोचते हैं।शशि थरूर की टिप्पणी इस बात को रेखांकित करती है कि भारत की विदेश नीति में बहस और बहुदलीय सहयोग की गुंजाइश बनी रहनी चाहिए। पीएम मोदी की अंतरराष्ट्रीय भूमिका की उन्होंने भले सराहना की हो, लेकिन वह भारत की दीर्घकालिक रणनीति में संतुलन, स्पष्टता और एकता को प्राथमिकता देने की जरूरत भी बता रहे हैं।