Vayam Bharat

शताब्दी-राजधानी या फिर वंदे भारत… लोगों ने किस ट्रेन को बनाया नंबर वन?

जैसे-जैसे दौर बदला है वैसे-वैसे ही सुविधाएं भी बदलती जा रही है, इसका एक बढ़िया उदाहरण भारतीय रेलवे है जिसमें हर दिन तेजी से बहतरी के लिए काम हो रहा है. कई ऐसी नई तरह की ट्रेन आ गईं हैं जिन्होंने सफर का तरीका पूरी तरह से बदल दिया है. इन ट्रेनों के कारण लोगों को ना सिर्फ आने-जाने में सहुलियत होती है बल्कि उनका वक्त भी कम लगता है. ऐसे में लोग धीरे-धीरे सेमी हाईस्पीड ट्रेनों का फायदा ले रहे हैं. पहले के दौर में राजधानी और शताब्दी ट्रेन को हाईस्पीड ट्रेन का दर्जा दिया गया था, लेकिन वक्त के साथ-साथ वंदे भारत, नमो भारत और तेजस जैसी ट्रेन ने लोगों का सफर और सुविधाजनक और आसान बना दिया है.

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लेकिन हाईस्पीड ट्रेनों के बावजूद भी लोग राजधानी और शताब्दी जैसी ट्रेन्स पर आज भी भरोसा करते हैं. कई लोग तो ऐसे भी हैं जिनकी पहली पसंद शताब्दी या फिर राजधानी होती हैं और फिर आती है वंद भारत. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में लोगों की पहली पसंद वंदे भारत है, लेकिन उन्हें शताब्दी और राजधानी का सफर भी कम पसंद नहीं. इसके कई कारण हैं.

पहली पसंद वंदे भारत

वंदे भारत एक्सप्रेस में हफ्तेभर में औंसत 86 प्रतिशत सीटों पर आरक्षित टिकट बेचे जाते हैं. साथ ही वंदे भारत के एग्जीक्यूटिव कोच में 72 प्रतिशत सीट पर रिजर्वेशन कोटे से ऑक्यूपेंसी दर्ज हुई है. वहीं राजधानी की ऑक्यूपेंसी की बात करें तो 75-80 फीसदी के बीच है. बाकी सीटों की बुकिंग तत्काल से की गई है. इसी तरह शताब्दी एक्सप्रेस के हर दिन 72 फीसदी सीटें आरक्षित टिकट के रूप में बुक होती हैं, बाकी टिकट तत्काल के होते हैं.

राजधानी-शताब्दी भी लिस्ट में

सुविधाओं की बात करें तो वंदे भारत सेमी हाईस्पीड ट्रेन में 16 कोच हैं जिसमें से 14 एसी चेयर और 2 एग्जीक्यूटिव क्लास के हैं जिसमें 1128 यात्रियों के बैठने की क्षमता होती है. ये ट्रेन भोपाल के कमलापति स्टेशन से सुबह 5.55 मिनट पर जलकर बीना, ग्वालियर, आगरा के रास्ते 1.45 तक नई दिल्ली आती है. वहीं दूसरी ओर शताब्दी और राजधानी एक्सप्रेस हर दिन चलती हैं. शताब्दी आरकेएमपी स्टेशन से दोपहर 3.15 मिनट पर चलकर रात को 11.50 तक दिल्ली आती है और राजधानी एक्सप्रेस भोपाल से रात 9 बजे रवाना होकर 8 घंटे 30 मिनट का सफर तय कर के 5.30 बजे दिल्ली पहुंचती है.

 

 

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