श्योपुर: देश की आजादी के 77 साल बीत जाने के बाद भी मध्य प्रदेश के श्योपुर जिला मुख्यालय से 140 किलोमीटर दूर सहसराम गांव के लोग नाले पर पुलिया नहीं होने के कारण बारिश के दिनों में श्मशान घाट में शव को ले जाने के लिए कमर से अधिक पानी से होकर गुजरने के लिए मजबूर हैं. ऐसी शर्मसार कर देने वाली तस्वीरें इस गांव की महिला रामश्री धाकड़ और अंगूरी नामदेव की मौत के बाद सामने आई. क्योंकि इस गांव के लिए जो श्मशान घाट बनाया गया है, वहां जाने के रास्ते में भारी बारिश के कारण नाले में कमर से अधिक पानी भर गया था.
इस गांव के ग्रामीण मनोज धाकड़ ने बताया कि हम आज़ादी के इतने साल बाद भी बारिश के दिनों में अपनी जान को जोखिम में डालकर अर्थी को कमर से अधिक पानी में ले जाने के लिए बाध्य हैं. उन्होंने कहा कि श्मशान घाट में शव का अंतिम संस्कार करने के लिए हमें नाले से गुजरना पड़ता है.
हम राज्य सरकार से पिछले कई सालों से इस नाले पर पुलिया या स्टॉप डैम बनाने की मांग कर रहे हैं, जिससे हमारी यह परेशानी दूर हो जाए. लेकिन अब तक हमारी यह मांग पूरी नहीं हो पाई है. मनोज धाकड़ ने बताया कि इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली यह तस्वीर सरकारों के दावों की पोल खोलती है. इस संबंध में जिला पंचायत सीईओ अतेंद्र सिंह गुर्जर और कलेक्टर अर्पित वर्मा को कॉल कर जानकारी लेनी चाही पंरतु उनका कॉल नहीं लगा.