मुंबई (Mumbai) के सेशन कोर्ट ने पुलिस से शिल्पा शेट्टी और उनके पति बिजनेसमेन राज कुंद्रा के खिलाफ जांच करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी और उनके पति राज कुंद्रा के खिलाफ एक सर्राफा व्यापारी द्वारा कोर्ट में दायर धोखाधड़ी के मामले में प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध बनता है.
सेशन कोर्ट के जज एनपी मेहता ने सर्राफा व्यापारी पृथ्वीराज सरेमल कोठारी की शिकायत में लगाए गए आरोपों की जांच करने के लिए बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC) को निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि अगर आरोपियों द्वारा कोई संज्ञेय अपराध किया गया पाया जाता है, तो पुलिस उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) और महाराष्ट्र जमाकर्ताओं के हितों के संरक्षण अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कर सकती है.
शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा को सतयुग गोल्ड प्राइवेट लिमिटेड (Satyug Gold Private Limited) नाम की कंपनी के संस्थापक बताया जाता है. कोठारी की ओर से पेश हुए वकील हरिकृष्ण मिश्रा और विशाल आचार्य ने कहा कि दोनों ने 2014 में एक स्कीम शुरू की थी, जिसके तहत इन्वेस्ट करने के इच्छुक किसी भी व्यक्ति को इसके लिए आवेदन करते वक्त रियायती दर पर गोल्ड का पूरा भुगतान करना होगा और उसे मेच्योरिटी डेट पर तय मात्रा में गोल्ड उपलब्ध कराया जाएगा.
सर्राफा व्यापारी के वकीलों ने कहा कि ऐसी स्कीम के बारे में सिर्फ पढ़ने से ही यह साफ हो जाएगा कि गोल्ड संबंधित निवेशक को दिया जाएगा, चाहे बाजार में उसकी कीमत कुछ भी हो, जो यह दिखाने के लिए पर्याप्त है कि ऐसी कोई गारंटी/आश्वासन था, जिसके आधार पर ऐसी आकर्षक स्कीम बनाई गई थी.
शेट्टी और कुंद्रा ने कथित तौर पर कोठारी से मुलाकात की और उन्हें समय पर गोल्ड पहुंचाने का आश्वासन दिया. कोठारी ने 90 लाख रुपये का इन्वेस्ट किया, जिसके लिए उन्हें 2 अप्रैल, 2019 को यानी 5 साल पूरे होने पर 5000 ग्राम 24 कैरेट सोना देने का वादा किया गया था, चाहे बाजार में सोने की कीमतों के मामले में कुछ भी हो. हालांकि, 5 साल पूरे होने पर उन्हें शेट्टी और कुंद्रा की कंपनी से कोई गोल्ड नहीं मिला.
कोठारी ने आरोप लगाया कि शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा ने 21 जनवरी, 2020 को 90 लाख रुपये का पोस्टडेटेड चेक भेजा, जो कि मूल राशि थी. उन्होंने आरोप लगाया कि अगर दंपति ने अपना वादा निभाया होता, तो 21 जनवरी, 2020 को 5000 ग्राम के 24 कैरेट सोने की कीमत 4500 रुपये प्रति ग्राम होती और कुल मिलाकर 2.25 करोड़ रुपये होते.
वकीलों ने तर्क दिया कि दंपत्ति और कंपनी के निदेशकों ने “धोखे, छल और धोखाधड़ी के नापाक इरादे से कोठारी द्वारा इन्वेस्ट की गई केवल मूल राशि को ही वापस करने का फैसला लिया है.”
वकीलों ने दलील दी कि कोठारी ने BKC पुलिस के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस ने FIR दर्ज नहीं की, इसलिए कोर्ट से पुलिस को FIR दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की गई.