दमोह : जिले के जनपद जबेरा की सिग्रामपुर ग्राम पंचायत में सोमवार को एक ऐसी तस्वीर सामने आई जिसने व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए.यहां गांव के युवक सचिन साहू का निधन हो गया.जब परिजन और ग्रामीण उनकी अंतिम यात्रा के लिए श्मशान घाट की ओर निकले तो रास्ते में आने वाला फल्को नाला सबसे बड़ी बाधा बन गया.
बारिश के कारण नाले में पानी उफान पर था और चूंकि यहां पुलिया नहीं है, इसलिए ग्रामीणों को शवयात्रा के दौरान घुटनों तक पानी में उतरकर गुजरना पड़ा.यह नजारा देखकर हर किसी के मन में सवाल उठे कि आखिर आज़ादी के इतने सालों बाद भी ग्रामीणों को अंतिम संस्कार के लिए ऐसी मुश्किलों से क्यों जूझना पड़ रहा है.
गांव के लोगों का कहना है कि यह समस्या नई नहीं है.श्मशान घाट जाने का यही एकमात्र रास्ता है जो हर बरसात में डूब जाता है.पिछले साल गांव में कैबिनेट बैठक हुई थी। उस दौरान ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री से पुलिया बनवाने की मांग भी रखी थी. आश्वासन तो मिला, लेकिन हकीकत यह है कि एक साल बीतने के बाद भी जमीनी स्तर पर कोई काम शुरू नहीं हुआ.
अब सवाल उठ रहे हैं कि जब अंतिम यात्रा तक सम्मानजनक ढंग से न निकल पाए तो विकास के बड़े दावे किस हद तक सही हैं.
इस पूरे मामले में आरईएस विभाग के कार्यकारी अभियंता शिवाजी गौंड ने जानकारी दी कि मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 55 लाख रुपए की राशि मंजूर हो चुकी है.इस राशि से सड़क का डामरीकरण और नाले पर रिपटा (अस्थायी पुलिया) बनाया जाएगा.उनका कहना है कि तकनीकी स्वीकृति मिलते ही कार्य शुरू होगा.
करीब पांच हजार की आबादी वाले इस गांव के लोग लंबे समय से इस समस्या का सामना कर रहे हैं.ग्रामीणों की साफ मांग है कि अब सिर्फ रिपटा नहीं बल्कि एक मजबूत पुल बनाया जाए, ताकि भविष्य में किसी शवयात्रा या बीमार को अस्पताल ले जाने जैसी स्थिति में ग्रामीणों को पानी में उतरने के लिए मजबूर न होना पड़े.
इसके साथ ही ग्रामीणों ने यह भी मांग रखी है कि श्मशान घाट पर आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं.उनका कहना है कि अंतिम यात्रा हर इंसान का सबसे बड़ा संस्कार है और इसे सम्मानजनक ढंग से संपन्न करने की जिम्मेदारी सरकार की है.
दमोह से यह तस्वीर सरकार के दावों पर प्रश्नचिन्ह खड़ी करती है.अब देखना होगा कि ग्रामीणों की इस पीड़ा का समाधान कितनी जल्दी होता है.