चीन की शी जिनपिंग सरकार ने देश में रिटायरमेंट की उम्र बढ़ा दी है. नई पॉलिसी के तहत चीन में अब पुरुषों की रिटायरमेंट की उम्र 60 वर्ष से बढ़ाकर 63 साल की गई है. एक तरह से बुजुर्गों को ‘काम की भट्ठी’ में झोंकने की तैयारी है. ऑफिस वर्क करने वाली महिलाओं की रिटायरमेंट उम्र को 55 वर्ष से बढ़ाकर 58 वर्ष किया गया है. वहीं, फैक्ट्री, कंस्ट्रक्शन या माइनिंग जैसी जगहों पर काम करने वाली महिलाओं की रिटायरमेंट उम्र 50 वर्ष को बढ़ाकर 55 वर्ष किया गया है. चीन की नई रिटायरमेंट पॉलिसी अगले साल 1 जनवरी से लागू होगी और ये नई नीति अगले 15 वर्षों तक लागू रहेगी.
जनसंख्या के लिहाज से चीन दुनिया में दूसरे नंबर पर माना जाता है. प्रोडक्ट के मामले में चीन के सामान पूरी दुनिया में बिकते हैं. विश्व की अर्थव्यवस्था में अपनी अलग पहचान बनाने के लिए चीन. इन दोनों ही मामलों का सामंजस्य ठीक तरह से बिठाता आया है. चीन की इकोनॉमी की वैश्विक पहचान ही उसकी वर्कफोर्स रही है, लेकिन क्या अब ये वर्कफोर्स तेजी से घट रही है? ये सवाल क्यों उठे, इसे समझने के लिए बीते शुक्रवार को लिए गए जिनपिंग के एक बड़े फैसले पर गौर करना होगा.
क्यों बढ़ाई रिटायरमेंट की सीमा
शी जिनपिंग ने अपने देश में कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र को बढ़ाने का फैसला लिया है. इस फैसले को लागू कराने के लिए रिटायरमेंट पॉलिसी में कई बदलाव किए गए हैं. अब सवाल ये है कि चीन ने ऐसा फैसला क्यों लिया कि वो घर पर आराम करने की उम्र में अब बुजुर्गों से काम लेना चाहता है? तो इसका जवाब है वहां की तेजी से घटती आबादी, कर्मचारियों की बढ़ती उम्र और खत्म हो रहा पेंशन का पैसा. जिसका सीधा असर, उसकी अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है.
कहां हो सकती है दिक्कत?
एक रिपोर्ट के मुताबिक, जिनपिंग नीति ने चीन के सामने एक गंभीर संकट पैदा कर दिया है. इस पर दूसरी मुसीबत ये है कि चीन की जनसंख्या में एक बड़ा हिस्सा बुजुर्गों का है. जिनमें कहा जा रहा है कि अगले दशक में लगभग 30 करोड़ लोग जो वर्तमान में 50 से 60 वर्ष की आयु के हैं, वो चीनी वर्कफोर्स से बाहर निकल जाएंगे. तब, समस्या दफ्तर से लेकर फैक्ट्रियों तक काम करने और कराने की होगी और चीन इसलिए अभी से भविष्य की तैयारी कर रहा है.
चीन को ऐसे मिलेगा करोड़ों का फायदा
इस कदम से चीन को एक और फायदा होगा. चीन एक दशक में रिटायर होने वाले इन 30 करोड़ लोगों को पेंशन देने से बच जाएगा उनसे कुछ साल और काम कराएगा. इसके बदले में वेतन देगा. चीन का एक सच ये भी है कि वहां आराम वाली नौकरियां बहुत कम हैं. देर से रिटायर होने का मतलब है कि इन बुजुर्गों को पेंशन मिलने में भी देरी होगी. अधिकतर लोग ठीक से अपना बुढ़ापा नहीं काट पाएंगे, लेकिन जिनपिंग को उनकी परेशानियों की परवाह नहीं है. उन्हें कमजोर होती चीन की अर्थव्यवस्था की चिंता है, इसके लिए वो कड़े फैसले लेने को भी तैयार हैं.