बिजनौर : चांदपुर थाना क्षेत्र के मोहल्ला सरायरफी में किराए पर रहने वाले नरेंद्र कुमार पुत्र मोहन सिंह ने न्यायालय में प्रार्थना पत्र दाखिल कर पुलिस उत्पीड़न से बचाव की गुहार लगाई है.
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पीड़ित के अनुसार, उसका जमीन को लेकर परिवार के ही अर्जुन पुत्र भोपाल व परविंद्र पुत्र इमारत से विवाद चल रहा था. इसी रंजिश के चलते उक्त लोगों ने चांदपुर में तैनात दरोगा अजीत सिंह से मिलकर उसके खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज करवा दिया, जिस पर माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने स्थगन आदेश (स्टे) दे दिया.
पीड़ित ने आरोप लगाया कि 20 जनवरी 2025 को दोपहर 1 बजे दरोगा अजीत सिंह, अर्जुन और परविंद्र जबरन उसके किराए के मकान में घुस आए और स्टे के बावजूद उसे गिरफ्तार करने लगे.जब उसने स्टे ऑर्डर दिखाया तो पुलिसकर्मियों ने उसके साथ धक्का-मुक्की की और लात-घूंसों से मारपीट की.इतना ही नहीं, आरोप है कि उसे छोड़ने के बदले तीन लाख रुपये की मांग भी की गई.
घटना के समय वहां मौजूद गवाह उमा देवी पत्नी मोहन सिंह, मोहन सिंह पुत्र महाराज सिंह और देवांश पुत्र सतीश कुमार ने पूरी घटना देखी.पीड़ित के पास इस घटना का वीडियो भी मौजूद है.
इसके अलावा, कांस्टेबल जयकरण उर्फ जैकी पर भी गंभीर आरोप लगाते हुए पीड़ित ने कहा कि उसने उसके दोस्त की मोटरसाइकिल उठा ली और धमकी दी कि जब तक नरेंद्र को पुलिस के हवाले नहीं किया जाता, तब तक बाइक नहीं मिलेगी.
पीड़ित ने बताया कि आरोपी पुलिसकर्मी और विपक्षी पक्ष मकान मालिक और उसके रिश्तेदारों को भी धमका रहे हैं कि यदि उन्होंने मकान खाली नहीं कराया तो उन्हें भी झूठे मुकदमे में फंसाकर जेल भेज दिया जाएगा.
नरेंद्र कुमार ने इस संबंध में पुलिस अधीक्षक बिजनौर, डीआईजी मुरादाबाद और मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.खुद को झूठे मुकदमे में फंसाने और जान-माल का खतरा बताते हुए उसने न्यायालय में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर उचित कार्रवाई की मांग की है.