सच्चाई दिखाना पड़ा भारी: मऊगंज में माली कर रहा इलाज, बौखलाए डॉक्टर ने पत्रकारों पर किया केस

मऊगंज: जिले का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नईगढ़ी लापरवाही और भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका है. सरकारी रिकॉर्ड में लाखों रुपये की दवाएं और संसाधन दर्ज हैं, लेकिन सच्चाई बिल्कुल अलग है. अस्पताल में डॉक्टर और नर्स नदारद रहते हैं, गर्भवती महिलाएं आयरन की गोली और ड्रिप के लिए तीन-तीन दिन से भटकती हैं. मरीज घंटों इंतजार करते रहते हैं, पर इलाज भगवान भरोसे है. हाल तो ऐसा है कि अस्पताल का माली ही पट्टी और टांके लगाता मिला.

इस हकीकत को कैमरे में कैद करने पहुंचे पत्रकारों पर ही मुसीबत टूट पड़ी. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ डॉ. पुष्पेंद्र मिश्रा कैमरे के सामने बौखला गए. उन्होंने पत्रकारों से हाथापाई, गाली-गलौज और धमकी दी कि खबर न चलाई जाए और जब यह भी काम न आया तो डॉक्टर ने नया खेल रच दिया, पत्रकार पर ही फर्जी शिकायत दर्ज करा दी.

लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि नईगढ़ी थाना पुलिस ने भी डॉक्टर के इशारे पर बिना किसी जांच, बिना साक्ष्य और बिना विवेचना के ही पत्रकार पर संगीन धाराओं में एफआईआर दर्ज कर दी. जबकि माननीय सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय पहले ही साफ कर चुके हैं कि पत्रकारों को पब्लिक प्लेस पर कवरेज करने का पूर्ण अधिकार है और प्रशासन को सहयोग करना चाहिए.

इस पूरे मामले पर जब मऊगंज जिले के एसपी से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा- हमें आवेदन आया था, उसी आधार पर हमने मामला दर्ज किया है. अब हम पूरी जांच करेंगे. जब उनसे यह पूछा गया कि क्या यह प्रोटोकॉल का हिस्सा है? क्या कवरेज कर रहे पत्रकार को समर्थन देने की जगह उसे झूठे मुकदमे में फंसाना सही है? तो एसपी ने साफ कहा— मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है.

एसपी का यह बयान प्रशासन की लापरवाही और सिस्टम की बेपरवाही को और उजागर कर देता है. एक तरफ अस्पताल का माली इलाज कर रहा है, गर्भवती महिलाएं भटक रही हैं और डॉक्टर-नर्स गायब हैं. वहीं दूसरी तरफ जो पत्रकार सच्चाई उजागर करने की हिम्मत करता है, उसे ही अपराधी बना दिया जाता है. सवाल उठता है कि क्या सिस्टम इसी तरह अपनी गंदगी पर पर्दा डालने के लिए ईमानदार आवाज़ों को कुचलता रहेगा?

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