कलयुग के श्रवण कुमार: बेटों ने माँ को कांवड़ पर बैठाकर कराया चारधाम यात्रा

 

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बदायूं : माता-पिता की सेवा को सर्वोपरि मानने वाले सनातन धर्म में जब भी भक्ति और कर्तव्य की बात होती है, तो श्रवण कुमार का नाम सबसे पहले लिया जाता है. त्रेतायुग में उन्होंने अपने माता-पिता को कंधों पर उठाकर तीर्थ यात्रा कराई थी.

कुछ ऐसा ही नजारा आज कलियुग में देखने को मिल रहा है, जहाँ उत्तर प्रदेश के बदायूं जनपद की बिसौली तहसील क्षेत्र के नूरपुर निवासी 25 वर्षीय धीरज और 19 वर्षीय तेजपाल अपनी 61 वर्षीय माँ राजेश्वरी देवी को कांवड़ पर बैठाकर चारधाम और विभिन्न तीर्थ स्थलों की यात्रा करा रहे हैं.

धीरज और तेजपाल यह पद यात्रा एक साल पहले 18 फरवरी 2024 को अपने गांव नूरपुर से प्रारंभ की यात्रा के 1 साल  7 दिन के अंदर दोनों भाइयों ने तकरीबन 5000 हजार से आदिक किलोमीटर की दूरी तय करते हुए अपनी मां को हरिद्वार, गंगोत्री, यमनोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ, नीलकंठ, चुलकानाधाम, गोगा मेडी, ददरेवा, मनसादेवी, चंडी देवी, मां सरकुंडा देवी, अयोध्या राममंदिर, खाटूश्याम, और वृंदावन में तीर्थ स्थलों के दर्शन कराए.

अपनी यात्रा को पूरा करने के बाद वृदांवन से बदायूं जाते समय कलयुग के श्रवण कुमार धीरज और तेजपाल यूपी के हाथरस पहुंचे, जहां दोनों भाइयों ने बताया कि उनकी माँ राजेश्वरी देवी लंबे समय से चारधाम यात्रा करने की इच्छा रखती थीं, लेकिन चलने में असमर्थ होने के कारण यात्रा संभव नहीं थी. ऐसे में बेटों ने संकल्प लिया कि वे अपनी माँ को कांवड़ पर बैठाकर चारधाम की यात्रा पूरी कराएंगे.

अपनी इस अनूठी भक्ति और सेवा भाव से वे न सिर्फ अपनी माँ की इच्छा पूरी कर रहे हैं, बल्कि समाज को भी एक संदेश दे रहे हैं कि माता-पिता को वृद्धाश्रम में छोड़ने की बजाय उनकी सेवा करनी चाहिए.

उनकी माँ राजेश्वरी देवी का कहना है कि आजकल के बच्चों को अपने माता-पिता के प्रति कर्तव्य और सम्मान को समझने की जरूरत है. उनके बेटों ने यह दिखा दिया कि संस्कार ही सबसे बड़ी पूंजी होती है.

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