भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर एक अनोखा प्रयोग किया. उन्होंने मेथी और मूंग के बीजों को पेट्री डिश में उगाया. उनकी तस्वीरें लेकर ISS के फ्रीजर में रखा. यह प्रयोग यह समझने के लिए है कि अंतरिक्ष की कम गुरुत्वाकर्षण (माइक्रोग्रैविटी) बीजों के अंकुरण और पौधों की शुरुआती बढ़ोतरी पर क्या असर डालती है.
अंतरिक्ष में भारतीय अंतरिक्ष यात्री का मिश
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
शुभांशु शुक्ला Axiom-4 मिशन के तहत ISS पर 12 दिन से हैं. वह और उनके साथी अंतरिक्ष यात्री 10 जुलाई 2025 के बाद किसी भी दिन पृथ्वी पर लौट सकते हैं, बशर्ते फ्लोरिडा तट पर मौसम ठीक हो. नासा ने अभी इस मिशन के ISS से अलग होने की तारीख की घोषणा नहीं की है. यह मिशन 14 दिन तक ISS पर रह सकता है.
यह बीज अंकुरण प्रयोग दो वैज्ञानिकों—धरवाद के यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज के रविकुमार होसमानी और iit धरवाद के सुधीर सिद्धापुरेड्डी—के नेतृत्व में हो रहा है. शुभांशु ने मेथी और मूंग के बीजों को पेट्री डिश में उगाया और उनकी तस्वीरें लीं. इन बीजों को पृथ्वी पर लौटने के बाद कई पीढ़ियों तक उगाया जाएगा, ताकि उनके जेनेटिक्स, सूक्ष्मजीवों और पोषण मूल्य में बदलाव का अध्ययन किया जा सके.
इस प्रयोग का मकसद यह समझना है कि अंतरिक्ष में उगने वाले पौधे लंबी अंतरिक्ष यात्राओं के लिए भोजन के रूप में कितने उपयोगी हो सकते हैं. यह भविष्य में चंद्रमा या मंगल मिशनों के लिए टिकाऊ खेती की दिशा में एक बड़ा कदम है.
यह भी पढ़ें: Cosmic Owl: अंतरिक्ष का उल्लू… जेम्स वेब ने ली दो टकराती हुई गैलेक्सी की तस्वीर
माइक्रोएल्गी का प्रयोग
शुभांशु ने एक और प्रयोग में माइक्रोएल्गी (सूक्ष्म शैवाल) को तैनात किया और स्टोर किया. ये शैवाल अंतरिक्ष में भोजन, ऑक्सीजन और यहां तक कि बायोफ्यूल (जैव ईंधन) बनाने की क्षमता रखते हैं. यह प्रयोग भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए जीवन रक्षक सिस्टम बनाने में मदद करेगा.
क्या होगा आगे?
जब शुभांशु पृथ्वी पर लौटेंगे, तो उनके द्वारा लाए गए बीजों का अध्ययन भारतीय वैज्ञानिक करेंगे. यह शोध अंतरिक्ष में खेती, भोजन की सुरक्षा और लंबी अंतरिक्ष यात्राओं के लिए जीवन रक्षक सिस्टम बनाने में मदद करेगा. ISRO के इस सहयोग से भारत अंतरिक्ष अनुसंधान में एक नया मुकाम हासिल कर रहा है.