झुंझुनूं के कुमावास गांव में हाथ में बंदूक लेकर 25 कुत्तों की गोली मारने वाले श्योचंद बावरिया को जमानत मिलने के बाद गांव में भव्य स्वागत किया गया। ग्रामीणों ने डीजे बजाया, उसे माला पहनाई और पिकअप में बैठाकर पूरे गांव में रैली निकाली। इस दौरान बस स्टैंड से गुजर रही बस को रोककर यात्रियों को लड्डू भी बांटे गए। श्योचंद ने हाथ जोड़कर इस स्वागत का अभिवादन स्वीकार किया।
इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पशु प्रेमियों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। लोगों ने इसे अपराध का महिमामंडन बताते हुए कहा कि अपराधियों को हीरो बनाना समाज के लिए खतरनाक संदेश देता है। कई यूजर्स ने लिखा कि आज कुत्तों का कातिल सम्मानित हो रहा है, कल इंसानों का हत्यारा भी ऐसा ही सम्मान पा सकता है।
दरअसल, श्योचंद ने 2 अगस्त को कुमावास गांव में ढूंढ-ढूंढ कर 25 कुत्तों की हत्या की थी। उनके साथी के साथ वह कुत्तों का पीछा करता और गोली मारकर उन्हें मार देता। हत्या के बाद कुत्तों के खून से लथपथ शव गांव में बिखरे मिले। इस घटना का वीडियो 4 अगस्त को सामने आया था, जिसके बाद पूर्व सरपंच सरोज झांझड़िया ने एसपी से शिकायत की। पुलिस ने 18 अगस्त को श्योचंद को गिरफ्तार किया। 22 अगस्त को उसे जमानत मिली और थाने से निकलते ही उसने वीडियो बनाया।
इस मामले को लेकर दो दृष्टिकोण सामने आए हैं। श्योचंद और कुछ ग्रामीणों का कहना है कि कुत्ते उनकी बकरियों और मवेशियों पर हमला कर रहे थे और बुजुर्गों तथा बच्चों के लिए खतरा बन गए थे। इसलिए उन्होंने कुत्तों की हत्या की। दूसरी ओर पूर्व सरपंच सरोज झांझड़िया ने आरोप लगाया कि यह दावा झूठा है और कुत्तों ने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया। उनका कहना है कि श्योचंद और उसके साथी मुआवजे के लिए झूठा बहाना बना रहे थे।
पशु क्रूरता अधिनियम 1960 और आईपीसी की धारा 429 के तहत जानवरों की हत्या गंभीर अपराध है। बावजूद इसके आरोपी को सम्मानित करना कानून और न्याय दोनों का मजाक है। इस घटना ने गांव और आसपास के इलाकों में पशु सुरक्षा और सामाजिक चेतना पर सवाल खड़े कर दिए हैं।