उदयपुर फाइल्स: सुप्रीम कोर्ट में बोले सिब्बल-मैं फिल्म देखकर हिल गया, कोई जज देख ले तो…

उदयपुर फाइल्स फिल्म पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक जारी रखी है, केंद्र सरकार के फैसले का इंतज़ार करने का निर्देश दिया है. वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने फिल्म देखने के बाद अपनी गहरी चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि फिल्म समुदाय के खिलाफ नफ़रत फैलाती है और हिंसा को बढ़ावा देती है. सिब्बल ने फिल्म में समलैंगिकता, महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार और न्यायिक प्रक्रिया के गलत चित्रण पर भी आपत्ति जताई. कोर्ट ने केंद्र सरकार की कमेटी से जल्द फैसला लेने का अनुरोध किया है. सुप्रीम कोर्ट सोमवार को मामले पर अगली सुनवाई करेगा. कोर्ट ने आदेश में यह भी दर्ज किया है कि मृतक कन्हैया लाल के बेटे को जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं. संबंधित एसपी और आयुक्त इसका आकलन करेंगे.

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सुप्रीम कोर्ट में क्या बोले कपिल सिब्बल

कपिल सिब्बल ने कहा कि जब हाईकोर्ट ने हमसे पूछा, तो मैंने खुद फिल्म देखी. मैं पूरी तरह से हिल गया था. अगर कोई जज इसे देखे, तो उसे पता चलेगा कि यह पूरी तरह से समुदाय के खिलाफ नफरत का विषय है, मैं आमतौर पर दूसरे पक्ष में हूं. यह एक दुर्लभ मामला है. यह हिंसा को जन्म देता है.

उन्होंने कहा कि यह एक समुदाय का अपमान है. समुदाय का एक भी सकारात्मक पहलू नहीं दिखाया गया है. समलैंगिकता, न्यायिक मामले, महिलाओं के साथ व्यवहार, एक लोकतांत्रिक देश ऐसी फिल्म को प्रमाणित कर रहा है. अकल्पनीय, मुझे नहीं लगता कि किसी भी देश में इस तरह के एजेंडा आधारित फिल्म को अनुमति मिलनी चाहिए.

केंद्र सरकार ले फिल्म पर फैसला- सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट आज हुई सुनवाई में उदयपुर फाइल्स फिल्म रिलीज पर लगी रोक नहीं हटाई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार के निर्णय का अदालत इंतजार करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा कि केंद्र सरकार के निर्णय का इंतजार करना ही उचित होगा. केंद्र सरकार की कमेटी जल्द से जल्द इस पर फैसला ले.

क्या है याचिकाकर्ता की मांग?

फिल्म के ट्रेलर और प्रचार को लेकर भी याचिकाकर्ताओं ने आपत्ति जताई है. ये याचिका कन्हैया लाल हत्या मामले में 8वें आरोपी मोहम्मद जावेद की ओर से दायर की गई है. मोहम्मद जावेद ने दलील दी है कि जब तक मुकदमे की सुनवाई पूरी नहीं हो जाती, तब तक फिल्म की रिलीज पर रोक लगाई जाए. फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ 2022 में हुए कन्हैया लाल साहू हत्याकांड पर आधारित है.

इस मामले में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने भी याचिका दायर की थी. मदनी ने अपनी याचिका में कहा है कि सेंसर बोर्ड द्वारा 55 सीन हटाने के बावजूद फिल्म का स्वरूप वही बना हुआ है और इसकी प्रचार गतिविधियों से देश में हिंसा फैल सकती है.

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