DU के कॉलेजों में होगी ‘भारतीय इतिहास में सिख शहादत’ की पढ़ाई, जनरल इलेक्टिव कोर्स के रूप में मिली मंजूरी

दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) के कॉलेजों में अब ‘भारतीय इतिहास में सिख शहादत (लगभग 1500-1765)’ की पढ़ाई को एक कोर्स के रूप में मान्यता मिल गई है. एकेडमिक काउंसिल की स्थायी समिति की बैठक में इस कोर्स को शुरू करने का निर्णय लिया गया है.

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कुलपति ने सिख शहादत पर कोर्स पेश करने पर सीपीआईएस को बधाई दी है.  उन्होंने कहा कि यह कोर्स न केवल सिखों के इतिहास से जुड़ा है, बल्कि भारत के इतिहास से भी जुड़ा है. कुलपति प्रो. योगेश सिंह के निर्देशानुसार पांच साल बाद डीयू का स्नातक शैक्षणिक सत्र 1 अगस्त से शुरू हो रहा है. इसके लिए एकेडमिक काउंसिल के सदस्यों ने कुलपति का आभार जताया.

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एकेडमिक काउंसिल की बैठक में मिली कोर्स को मंजूरी

एकेडमिक काउंसिल की बैठक के दौरान रजिस्ट्रार डॉ. विकास गुप्ता ने एजेंडा पेश किया. एजेंडे के अनुसार अकादमिक मामलों पर एकेडमिक काउंसिल की स्थायी समिति की बैठकों में की गई सिफारिशों पर विचार करते हुए इस कोर्स को शुरू करने का निर्णय लिया गया.

स्नातक पाठ्यक्रम रूपरेखा (यूजीसीएफ) 2022 के आधार पर विचार-विमर्श के बाद विभिन्न संकायों के पाठ्यक्रमों को भी मंजूरी दी गई. इसी तरह स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम रूपरेखा (पीजीसीएफ) 2024 के आधार पर भी मामूली संशोधनों के साथ विभिन्न संकायों के पाठ्यक्रमों को मंजूरी दी गई.

डीयू के छात्र जीई में पढ़ सकेंगे ‘भारतीय इतिहास में सिख शहादत’

दिल्ली विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता एवं विभाजन अध्ययन केंद्र (सीआईपीएस) ने ‘भारतीय इतिहास में सिख शहादत (लगभग 1500-1765)’ पाठ्यक्रम शुरू किया है, जो सभी सामान्य ऐच्छिक (जीई) पाठ्यक्रमों के लिए है. सभी कॉलेजों के लिए पेश किया जाने वाला यह स्नातक पाठ्यक्रम 4 क्रेडिट का है, जिसमें प्रवेश की पात्रता के लिए किसी भी स्ट्रीम में कक्षा 12वीं उत्तीर्ण होना आवश्यक है.

सिख समुदाय के इतिहास को बताना है मकसद

इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य सिख समुदाय से जुड़े ऐतिहासिक संदर्भ और सिख शहादत, धार्मिक उत्पीड़न और आधिपत्यवादी राज्य उत्पीड़न के खिलाफ प्रतिरोध के प्रमुख ऐतिहासिक उदाहरणों को समझना है. इस पाठ्यक्रम के माध्यम से छात्र मुगल राज्य और समाज पर उभरते इतिहास लेखन में मौजूद अंतराल को समझ सकेंगे.

सिख धर्म का विकास पर है पहला चैप्टर

यह कोर्स छात्रों को सिख शहादत के अब तक उपेक्षित सामाजिक-धार्मिक इतिहास और सिखों पर विशेष ध्यान देने के साथ भारतीय इतिहास में विकसित समाज की एक महत्वपूर्ण समझ विकसित करने में सक्षम करेगा. पाठ्यक्रम की इकाई-i के तहत, छात्रों को सिख धर्म का विकास, मुगल राज्य और समाज: पंजाब, सिख धर्म में शहादत और शहादत की अवधारणा, सिख गुरुओं के अधीन सिख: गुरु नानक देव से गुरु रामदास तक सिख धर्म का ऐतिहासिक संदर्भ पढ़ाया जाएगा.

दूसरे चैप्टर में पढ़ाई जाएगी शहादत गाथाएं

इकाई-II शहादत की गाथा पढ़ाएगी: हेगेमोनिक मुगल राज्य और उत्पीड़न, गुरु अर्जन देव: जीवन और शहादत, राज्य की नीतियों पर प्रतिक्रियाएं: गुरु हरगोबिंद से गुरु हरकृष्ण तक, गुरु तेग बहादुर: जीवन और शहादत, भाई मती दास, भाई सती दास, भाई दयाला का संदर्भ.

इकाई-III में गुरु गोबिंद सिंह का जीवन शामिल होगा: संत सिपाही, चमकौर की लड़ाई: साहिबजादा अजीत सिंह और साहिबजादा जुझार सिंह की शहादत छोटे साहिबजादों – साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह की शहादत और बंदा सिंह बहादुर का उदय: युद्ध और शहादत.

यूनिट-IV में भाई मनी सिंह, बाबा दीप सिंह, भाई बोटा सिंह, भाई तारू सिंह और हकीकत राय, माई भागो और बीबी अनूप कौर, श्री हरमंदिर साहिब, आनंदपुर साहिब, सरहिंद, गुरुद्वारा सीस गंज, गुरुद्वारा रकाब गंज, लोहगढ़ किला सहित अन्य सिख योद्धाओं, शहीदों और भक्ति और वीरता के स्थानों को शामिल किया जाएगा. ट्यूटोरियल के दौरान ऐतिहासिक स्थानों की यात्रा और दृश्य संसाधन फिल्मों/वृत्तचित्रों आदि की स्क्रीनिंग के साथ क्लास स्टडी को पूरक बनाया जाएगा.

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