प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आज पूर्वोत्तर के राज्य सिक्किम की राजधानी गंगटोक जाना था. तय कार्यक्रम के मुताबिक पीएम मोदी गंगटोक के पालजोर स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने वाले थे. सिक्किम के भारत में विलय के 50 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी अब शामिल नहीं होंगे. खराब मौसम के कारण पीएम मोदी का सिक्किम दौरा रद्द कर दिया गया है.
प्रधानमंत्री मोदी अब पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी के बागडोगरा एयरपोर्ट से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये कार्यक्रम में शामिल हुए. राज्य सरकार की ओर से आयोजित किए जा रहे कार्यक्रमों की कड़ी में आयोजित इस कार्यक्रम में पीएम मोदी को डाक टिकट और स्मारक सिक्का जारी करना था. ‘सुनौलोस समृद्ध एवं समर्थ सिक्किम’ की थीम पर वर्ष भर चलने वाले कार्यक्रमों की योजना बनाई है.
इसी कड़ी में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी को कई विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण भी करना था. इनमें नामची में 750 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से 500 बेड का अस्पताल, ग्यालशिंग के पोलिंग के सांगाचोलिंग में यात्री रोपवे शामिल है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गंगटोक के सांगखोला में अटल अमृत उद्यान में भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा का लोकार्पण भी करने वाले थे.
सिक्किम के भारत में विलय और एक राज्य के रूप में अस्तित्व में आने के 50 साल इसी महीने पूरे हुए हैं. 16 मई को सिक्किम का 50वां राज्य दिवस था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सोशल मी़डिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर सिक्किमवासियों को राज्य दिवस की बधाई दी थी. प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर अपने पोस्ट में लिखा था कि सिक्किम के लोगों को राज्य दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं. इस वर्ष यह अवसर और भी खास है, क्योंकि हम सिक्किम के राज्य बनने की 50वीं वर्षगांठ मना रहे हैं. सिक्किम सौम्य सौंदर्य, समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं और मेहनती लोगों का स्थान माना जाता है. सिक्कम ने विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति की है. इस खूबसूरत राज्य के लोग समृद्ध होते रहें.
1975 में हुआ था विलय
सिक्किम का 16 मई 1975 को भारत में विलय हुआ था. उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़ राज्यों के गठन से पहले तक सिक्किम देश का सबसे नया राज्य हुआ करता था. 1975 में भारत में विलय से पहले तक सिक्किम एक स्वतंत्र रियासत था, जहां नामग्याल राजवंश का शासन था. 1970 के दशक में सिक्किम में राजशाही के खिलाफ विरोध-प्रदर्शनों ने जोर पकड़ लिया. सिक्किम के राजा को मजबूर होकर 1973 में विधानसभा चुनाव कराने का ऐलान करना पड़ा और यह समझौता करना पड़ा कि भारतीय निर्वाचन आयोग की निगरानी में चुनाव होंगे.
सिक्किम विधानसभा के चुनाव 1974 में हुए और तब सिक्किम कांग्रेस ने 32 में से 31 सीटें जीत लीं. तब सिक्किम में लोकतंत्र समर्थक दो बड़े नेता थे- सिक्किम कांग्रेस के दोरजी काजी और जनता कांग्रेस के एसके रॉय. केसी प्रधान और बीबी गुरुंग भी तब सिक्किम में बड़े कद के नेता हुआ करते थे. सिक्किम विधानसभा से भारत के साथ सक्रिय संबंध बनाने, संवैधानिक संस्थाओं के साथ मिलकर काम करने का प्रस्ताव पारित हो गया. चुनी हुई सरकार ने भारत में विलय के लिए जनमत संग्रह कराने का भी प्रस्ताव पारित किया, जिसका सिक्किम नरेश ने विरोध किया.
सेना ने सिक्किम नरेश को उनके ही महल में एक तरह से नजरबंद कर दिया और जनमत संग्रह हुआ. सिक्किम की करीब 97 फीसदी जनता ने भारत में विलय के पक्ष में अपना मत दिया. जनमत संग्रह के बाद सिक्किम के भारत में विलय, 22वें राज्य के गठन से संबंधित बिल संसद के दोनों सदनों से पारित हो गया. 16 मई को सिक्किम के लोग राज्य दिवस के रूप में मनाते हैं.