सिंगरौली : कोल वाहन दुर्घटना के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने किया विरोध, बसों और कोल वाहनों में लगाई आग

सिंगरौली:  जिला मुख्यालय बैढ़न से तकरीबन 35 किलोमीटर दूर स्थित माड़ा थाना क्षेत्र के अमिलिया घाटी के पास कोल वाहन से दो लोगों की मौत हो गई थी. घटना के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने अदाणी कंपनी के सिफ्ट बसों को आग के हवाले कर दिया. ग्रामीणों ने गड़ाखाड़ में जाम लगाकर तनाव की स्थिति पैदा कर दी है.  5 घंटे बाद पुलिस अधीक्षक घटनास्थल के लिए रवाना हुए.

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बताया जाता है कि आज दिन शुक्रवार की दोपहर तकरीबन 3 बजे अमिलिया घाटी के पास कोल वाहन से बाईक सवार रामसागर प्रजापति व रामलल्लू यादव की मौत हो गई थी. घटना के बाद शाम तकरीबन 5 बजे स्थानीय ग्रामीणों ने गड़ाखाड़ चौराहे पर चक्काजाम कर दिया. उसी दौरान बैढ़न अदाणी टाउनशिप से बसें सिफ्ट लेकर कर्मचारियों को अदाणी पावर बंधौरा जा रही थी. जैसे ही बसेें गड़ाखाड़ चौराहे पर पहुंची तो स्थानीय गुस्साएं ग्रामीणों ने सभी सिफ्ट बसों के गेट को बन्द करते हुए आग लगाने लगे. किसी तरह बसों के अन्दर बैठे वर्कर अपनी जान बचाते हुये बसों से कूद गये. जैसे ही बस खाली हुई तो ग्रामीणों ने कई बसों को आग के हवाले कर दिया. जहां बस धू-धूकर जलने लगी.

 

बताया जाता है कि ग्रामीणों ने कंपनी के कर्मचारियों के साथ भी मारपीट की है. वही बेकाबू भीड़ को रोकने पहुंची पुलिस को भी खदेड़ा गया. जहां कई पुलिस वालों को भी चोट आई है. मौके पर तनाव की स्थिति निर्मित है. बताया जाता है कि घटना लगभग 3 बजे की है और स्थानीय लोग उपद्रव तकरीबन 5 बजे शाम से करने लगे. इसके बावजूद सिंगरौली एसपी संजीदा नही हुये. बताया जाता है कि घटना के 5 घंटे बाद पुलिस कप्तान स्थल के लिए रवाना हुये। यह भी कहा जा रहा है कि जब घटनास्थल से पुलिस गुहार मचा दी तब कही पुलिस अधिकारियों की नींद खुली और 3 घंटे बाद बल रवाना किया गया.

 

कई बसें, कोयला वाहन धू-धूकर जले

बताया जाता है कि गड़ाखाड़ में गुस्साएं ग्रामीणों ने अपनी गुस्सा को काबू नही कर पाये और अदाणी बस में बैठे कंपनी के वर्करों को बस से उतार कर मारपीट करते हुये खदेड़ने लगे. जब बस खाली हो गई तो एक के बाद एक बसों को आग के हवाले करते गये. सूत्र बतातें हैं कि तकरीबन 7 बसें व 4 कोल वाहनों को आग लगा दी गई. बस और कोल वाहन इस कदर जलने लगे कि समूचा क्षेत्र जगमगा उठा. इस आग के ताण्डव से आसपास के दुकानें भी प्रभावित हुई हैं और लोग दहशत में हैं.

जान बचाने के लिए खेतों में छिपी पुलिस

बताया जाता है कि गुस्साएं ग्रामीणों ने इस कदर खदेड़-खदेड़कर मारपीट कर रहे थे कि कंपनी के वर्करों ने चीख-पुकार मच गई. स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची तो ग्रामीणों का ताण्डव देखकर पुलिस के हाथ-पाव फुलने लगे. बताया जाता है कि पुलिस ने मोर्चा संभालने के लिए आगे बढ़ी. लेकिन गुस्साएं ग्रामीणों ने पुलिस को खदेड़ लिया. जिससे कई पुलिस वालों को भी छुटपुट चोटें आई हैं. बताया जाता है कि अपनी जान बचाने के लिए पुलिसकर्मी अरहर व गेहूॅ के फसलों में छिप गये थे.

 

पुलिस क्यों उठाई बॉडी?

ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस बिना बतायें मृतको की बॉडी को क्यों उठाया? परिजनों को क्यों नही बुलाया गया? इसी बात को लेकर स्थानीय जनता भड़क गई और अपना गुस्सा अदाणी के बसों और कोल हाईवा पर निकाला. इस तरह की घटना वर्ष 2008 में उस समय हुई थी जब एस्सार कंपनी बंधौरा में स्थापित हो रही थी. उस समय भी इसीतरह का आक्रोश देखने को मिला था. इतनी बड़ी घटना कारित हुई. इसके बावजूद पुलिस अधीक्षक 5 घंटे बाद घटनास्थल के लिए रवाना हुए. ग्रामीणों की मांग थी की पुलिस अधीक्षक आयें और मामले को शांत करायें. अगर पुलिस अधीक्षक समय रहते घटनास्थल पर पहुंचे होते तो शायद हो सकता था इतनी बड़ी घटना को रोका जा सकता था. लेकिन लापरवाही की हदें पार की गई और इतनी बड़ी घटना कारित हुई.

 

अमिलिया घाटी का मुद्दा पुराना

अमिलिया घाटी सड़क को लेकर तत्कालीन पुलिस अधीक्षक मिथिलेश शुक्ला व तत्कालीन कलेक्टर केव्हीएस चौधरी ने काफी पहल किया था और उस समय एस्सार कंपनी थी. एस्सार कंपनी पर दबाव बनाया था और कंपनी ने अमिलिया घाटी सड़क को बनाने का कार्य शुरू किया था. लेकिन उसी समय कलेक्टर व एसपी का स्थानांतरण हो गया था. इसके बाद जितने भी कलेक्टर व एसपी आये सिर्फ अमिलिया घाटी के नाम पर सांकेतिक चिन्ह के नाम पर सिर्फ कोरमपूर्ति का खेल खेला है. अगर प्रशासन गंभीर हो जाता तो अमिलिया घाटी सड़क का चौड़ीकरण व घाट कटिंग हो जाता तो आये दिन जो घटनाएं कारित हो रही हैं. उससे निजात मिलती.

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