सिरोही: देलदर गांव में 32 साल बाद समदरिया हिलोरा उत्सव, सर्व समाज की 500 महिलाओं ने तालाब में घड़ा को तालाब में डालकर मनाया त्योहार 

सिरोही: जिले के मडंवारिया ग्राम पंचायत देलदर में सर्व समाज की करीब 500 विवाहित सुहागिनों और बेटियों ने गांव के तालाब में भाई के साथ समुद्र मंथन किया. भाइयों ने चुनरी ओढ़ाकर रक्षा का वचन दिया तो बहनों ने भी भाइयों के खुशहाली की कामना की. यहां 32 वर्ष बाद यह रस्म निभाई गई. जहां महिलाएं व युवतियां रंग बिरंगी पारंपरिक वेशभूषा पहनकर पूजा में भाग लिया.

गांव के अंदर बड़ी संख्या में महिला एकत्रित हुई और सभी महिला घर में प्रारंभिक मुहूर्त पूजा के पश्चात सर्व जातीय शोभायात्रा जुलुस निकालकर ढोल नगाड़ों के साथ गांव के मुख्य तालाब पर पहुंचे. जहां गांव की करीब 500 बहू एवं बेटियों ने तालाब में उतरकर पूजन कर भाइयों की खुशहाली की कामना की.

जहां तालाब में भाइयों व बहनों ने एक दूसरे को तालाब का जल ग्रहण करवाया. उसके बाद भाई अपने बहन को चुंदड़ी ओढ़ाकर तालाब से बाहर लेकर पहुंचे जहां उन्होंने उपहार और कपड़े भेंट किए. इस तालाब पूजन को लेकर जिले के आसपास सहित प्रवासी बंधु भी इस कार्यक्रम को देखने के लिए बड़ी संख्या में पहुंचे और दिनभर गांव में मेले जैसा माहौल रहा.

वहीं बता दे की समदरियो हिलोरा, जिसे “समुद्र हिलोरा” भी कहा जाता है, राजस्थान में हर वर्ष यह मनाया जाने वाला एक पारंपरिक उत्सव है, जिसमें भाई-बहन तालाब या नदी में मटका डालकर “हिलोरा” (हिलोरना) देते हैं. यह उत्सव भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक है, और साथ ही जल स्रोतों के प्रति सम्मान व्यक्त करने का भी एक तरीका है और भाई-बहन मिलकर तालाब या नदी की पूजा करते हैं और घुघरी-मातर का भोग लगाते हैं.

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