यूपी के सीतापुर में बीएसए कार्यालय बेल्ट कांड का मामला थमने के बजाय लगातार तूल पकड़ता जा रहा है. 23 सितंबर को प्राथमिक विद्यालय नदवा के प्रधानाध्यापक बृजेंद्र कुमार वर्मा का बीएसए ऑफिस में पहुंचकर फाइल पटकना और फिर बेल्ट निकालकर बीएसए अखिलेश प्रताप सिंह की पिटाई करना, इसका सीसीटीवी फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद विवाद और गहरा गया.
मामले में बीएसए की ओर से प्रधानाध्यापक के विरुद्ध गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज करा दी गई और उन्हें जेल भी भेज दिया गया. लेकिन जेल जाते समय का वीडियो सवाल खड़े करने लगा. वीडियो में प्रधानाध्यापक बृजेंद्र कुमार वर्मा के चेहरे की सूजन दिखाई दे रही थी, जिससे अंदेशा हुआ कि उनकी भी पिटाई की गई है.
इसके बाद एक बार फिर महमूदाबाद से भाजपा विधायक आशा मौर्या और सपा के पूर्व विधायक नरेंद्र सिंह वर्मा आमने-सामने आ गए और आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया. मामला शिक्षिका अवंतिका गुप्ता से जोड़कर भी सियासी रंग लेने लगा.
स्कूल पर लटका मिला ताला
24 सितंबर को जब बच्चे स्कूल पढ़ने पहुंचे तो गेट पर ताला लटका मिला. इसके बाद उन्होंने अभिभावकों संग स्कूल गेट पर जमकर नारेबाजी की और शर्त रखी कि वे पढ़ाई सिर्फ बृजेंद्र कुमार वर्मा से ही करेंगे. इस दौरान बच्चों और अभिभावकों के निशाने पर शिक्षिका अवंतिका गुप्ता भी आ गईं.
वहीं, सपा नेता डॉ. राहुल शुक्ला भी स्कूल पहुंच गए. मामले में सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी सोशल मीडिया पर पोस्ट कर सियासी सरगर्मी बढ़ा दी. दरअसल नदवा प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों में महीनों से खींचतान चल रही थी. यहां तैनात शिक्षक, शिक्षक संघ के दो गुटों में बंटे हैं.
प्रधानाध्यापक बृजेंद्र वर्मा और शिक्षक संतोष वर्मा साले-बहनोई हैं और दोनों उत्तर प्रदेशीय शिक्षक संघ के सदस्य हैं, जबकि शिक्षिका अवंतिका गुप्ता राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की सदस्य हैं. गुटबाजी का यह मामला महमूदाबाद के सियासी घरानों तक पहुंच गया.
सरकार ने स्कूलों को मर्ज करने का लिया फैसला
इसी बीच प्रदेश सरकार ने कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों को मर्ज करने का फैसला लिया, जिसका समाजवादी पार्टी ने विरोध किया. सपा के पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह वर्मा ने अपनी फेसबुक वॉल पर इस मुद्दे को उठाते हुए टिप्पणी की थी. अध्यापक संतोष वर्मा ने नरेंद्र सिंह वर्मा की पोस्ट शेयर कर अपने विचार लिख दिए.
इस पोस्ट के स्क्रीनशॉट का इस्तेमाल कर मामला भाजपा विधायक आशा मौर्या तक पहुंचा. उन्होंने बीएसए को पत्र लिखकर संबंधित शिक्षक पर राजनीति और सरकार विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया.