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सात महीने से लापता सिक्किम की शिक्षिका पासांग डोमा का कंकाल सिलीगुड़ी के बंद मकान से बरामद, रहस्य गहराया

सिक्किम से लापता एक शिक्षिका के मामले ने तब भयावह मोड़ ले लिया जब उनका संदेहास्पद कंकाल सिलीगुड़ी के एक बंद मकान से बरामद हुआ। मृतका की पहचान पासांग डोमा शेरपा, उम्र लगभग 30 वर्ष, के रूप में की जा रही है जो सिक्किम के नामची जिले के एक स्कूल में पढ़ाती थीं और पिछले सात महीनों से लापता थीं।पासांग डोमा शेरपा के लापता होने की रिपोर्ट सिक्किम पुलिस के पास करीब सात महीने पहले दर्ज की गई थी। मामले की जांच जारी थी, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। इसी बीच एक अहम जानकारी सामने आई कि शिक्षिका सिलीगुड़ी के एक मकान में भी निवास करती थीं। इसी कड़ी में सिक्किम पुलिस ने स्थानीय पुलिस के सहयोग से शुक्रवार को उस घर पर छापा मारा।जब पुलिस ने बंद पड़े मकान का ताला तोड़ा और भीतर प्रवेश किया, तो वहां उन्हें एक कंकाल पड़ा मिला, जिससे पूरे इलाके में सनसनी फैल गई।पुलिस को संदेह है कि बरामद कंकाल पासांग डोमा शेरपा का ही है, हालांकि डीएनए जांच के बाद ही पहचान की आधिकारिक पुष्टि की जाएगी। पुलिस ने कंकाल को पोस्टमार्टम और फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया है।

इस घटना ने न सिर्फ पुलिस प्रशासन बल्कि शिक्षक समुदाय और समाज को भी झकझोर दिया है, क्योंकि यह मामला महज गुमशुदगी नहीं, बल्कि संभवत: हत्या या सुनियोजित साजिश की ओर इशारा करता है।पुलिस सूत्रों के अनुसार, पासांग डोमा जिस मकान में रहती थीं, वहां एक पुरुष भी उनके साथ समय-समय पर रहता था। अब पुलिस उसकी पहचान, पृष्ठभूमि और संभावित भूमिका की गहन जांच कर रही है।अहम बात यह भी है कि इस घर की पहले भी तलाशी ली जा चुकी थी, लेकिन उस समय कंकाल नहीं मिला था, जिससे यह आशंका भी उठ रही है कि शव को जानबूझकर छुपाया गया था या बाद में वहां रखा गया।सिलीगुड़ी और सिक्किम के शिक्षा जगत में इस घटना को लेकर गहरा आक्रोश और शोक का माहौल है।
स्थानीय लोग भी सुरक्षा व्यवस्था और पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं, क्योंकि अगर समय पर कार्रवाई होती तो शायद जान बचाई जा सकती थी।पुलिस फिलहाल फॉरेंसिक रिपोर्ट और डीएनए जांच का इंतज़ार कर रही है। साथ ही, उस संदिग्ध व्यक्ति की तलाश भी तेज़ कर दी गई है जो शिक्षिका के साथ रहता था।

यह घटना न सिर्फ एक महिला की रहस्यमयी मौत की कहानी है, बल्कि महिला सुरक्षा, किराए के मकानों की निगरानी और समाज की संवेदनहीनता पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।

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