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यहां मिला ‘पिशाच’ बच्चों का कंकाल! मरने के बाद लौट न सकें इसलिए काट दिया था सिर

पोलैंड में हुई एक डरावनी खोज ने मध्यकालीन यूरोप में प्रचलित पिशाचों से जुड़े अंधविश्वासों और दफन प्रथाओं पर नई रोशनी डाली है. यहां खुदाई के दौरान 13वीं शताब्दी के बच्चों के कंकाल मिले हैं, जिन्हें ‘पिशाच विरोधी दफन’ माना जा रहा है. इन अवशेषों में से एक का सिर काटकर धड़ से अलग किया गया था और शरीर को पत्थरों से दबा दिया गया था, ताकि पुनर्जीवित होकर पिशाच न बने.

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यह खोज मध्यकालीन पूर्वी यूरोप के पिशाचों से जुड़े गहरे अंधविश्वासों और डर का प्रतीक है, जब माना जाता था कि मृतकों का पुनरुत्थान उनके वापस पिशाच या राक्षस बनने का कारण बन सकता है. ऐसे दफन स्थल उस समय की धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं को दर्शाते हैं, जो समाज के भीतर गहराई से जुड़ी हुई थीं.

ल्यूबेल्स्की वोइवोडीशिप कंजर्वेटर ऑफ मॉन्यूमेंट्स के पुरातत्वविद् डॉ. स्टैनिस्लाव गोलुब ने इस खुदाई का नेतृत्व किया. उन्होंने बताया कि चेलम स्थित यूनीएट बिशप्स पैलेस में चल रहे उद्यान नवीनीकरण परियोजना के लिए जब मजदूर पेड़ों की जड़ें हटा रहे थे, तब उन्हें ये कंकाल मिले थे.

पुरातत्वविदों का मानना है कि चेहरा नीचे की ओर करके दफनाना, सिर को धड़ से अलग करना और शरीर को पत्थरों से दबा देना जैसी क्रियाएं उस समय पिशाचों के पुनर्जीवन को रोकने की कोशिश थीं. मध्यकालीन यूरोप, विशेष रूप से पूर्वी यूरोप में, पिशाचों से जुड़े अंधविश्वास काफी प्रचलित थे. इस प्रकार के दफन स्थल उन सामाजिक विश्वासों और अंधविश्वासों की झलक दिखाते हैं, जो लोगों में राक्षसी शक्तियों के डर से जुड़े हुए थे.

यहां देखें तस्वीरें, 13वीं शताब्दी के बच्चों के हैं कंकाल

पॉपुलर साइंस की रिपोर्ट के अनुसार, सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि बच्चों को किसी भी ज्ञात कब्रिस्तान से दूर, ताबूत या पारंपरिक अंत्येष्टि आभूषणों के बिना दफनाया गया था. इससे पता चलता है कि स्थानीय लोगों ने कुछ समय तक इस क्षेत्र का उपयोग अघोषित रूप से शवों को दफनाने के लिए किया होगा. शोधकर्ता अब इन अवशेषों का विश्लेषण कर रहे हैं, ताकि उस युग की दफन प्रथाओं के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त की जा सके.

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