उत्तर प्रदेश के आगरा में दवा माफियाओं के गिरोह ने हजारों मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ किया है। औषधि विभाग और स्पेशल टास्क फोर्स ने पिछले महीने छापेमारी कर बड़े पैमाने पर नकली दवाएं बरामद की थीं। जांच में यह खुलासा हुआ कि शुगर और हार्ट जैसी गंभीर बीमारियों के लिए मरीजों को दी जाने वाली दवाएं नकली थीं और इनकी सप्लाई 12 राज्यों में की जा रही थी।
छापेमारी हे मां मेडिको और बंसल मेडिकल एजेंसी पर की गई थी। यहां से जब्त की गई रोसुवास और एमारिल टैबलेट के सैंपल दवा बनाने वाली कंपनियों सन फार्मा और सनोफी इंडिया को भेजे गए। रिपोर्ट में साफ कहा गया कि ये दवाएं असली नहीं हैं और कंपनियों ने इन्हें कभी बनाया ही नहीं। इसका मतलब है कि लंबे समय से मरीजों को झूठी सुरक्षा का सहारा देकर नकली दवाइयां खिलाई जा रही थीं।
जांच में सामने आया कि पुडुचेरी स्थित मीनाक्षी फार्मा और श्री अमान फार्मा की अवैध फैक्ट्रियों में इन दवाओं का निर्माण होता था। वहां से ट्रेन के जरिए सप्लाई कर इन्हें उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में भेजा जाता था। आशंका जताई जा रही है कि यह कारोबार कई सालों से चल रहा था।
हे मां मेडिको के संचालक हिमांशु अग्रवाल ने मामले को दबाने के लिए एक करोड़ रुपये की रिश्वत देने की कोशिश की थी। वह और बंसल मेडिकल एजेंसी के मालिक संजय बंसल समेत परिवार के तीन लोग जेल में बंद हैं। जांच में 78 लाख रुपये कीमत की एलेग्रा 120 टैबलेट भी जब्त की गईं, जिन पर सभी पत्तों पर एक ही बैच नंबर और निर्माण तिथि लिखी थी, जबकि नियम के अनुसार यह अलग होना चाहिए था।
दवा कंपनियों ने साफ कहा कि उन्होंने उस बैच नंबर की दवा उत्तर प्रदेश में बेची ही नहीं। लेकिन आगरा की एजेंसियों ने उसी बैच नंबर के हजारों बॉक्स बाजार में बेच दिए। इस गड़बड़ी से यह स्पष्ट हो गया कि हजारों मरीज नकली दवाएं खा चुके हैं, जिससे उनकी जान को गंभीर खतरा हुआ है।
यह मामला न केवल दवा कारोबार की गहरी साजिश को उजागर करता है बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे मुनाफे के लालच में लोगों की सेहत और जीवन को दांव पर लगाया जा रहा है।