यूएन (संयुक्त राष्ट्र) सिक्योरिटी काउंसिल में लगातार बदलाव की मांग की जा रही है. हालांकि, इसके लिए यूएन की तरफ से न के बराबर कदम उठाए जा रहे हैं. यूएन की इस धीमी प्रक्रिया को लेकर भारत ने एक बार फिर अपने विरोध का इजहार किया है. संयुक्त राष्ट्र (UN) में भारत के राजदूत पार्वथानेनी हरीश ने कहा,’भारत यूएन की इस धीमी प्रक्रिया से संतुष्ट नहीं है.
भारतीय डिप्लोमैट ने कहा,’कुछ ऐसे देश हैं, जो यूएन सिक्योरिटी काउंसिल का विस्तार नहीं चाहते हैं. वे किसी भी कीमत पर UNSC के स्थायी सदस्यों की संख्या में बदलाव को रोकना चाहते हैं. उन्हें लगता है कि अगर ऐसा होता है तो उनके पड़ोसी देश भी सिक्योरिटी काउंसिल का हिस्सा बन सकते हैं.’
1945 के स्ट्रक्चर पर चल रहा UNSC
यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पार्वथानेनी हरीश ने कहा,’सिक्योरिटी काउंसिल के स्ट्रक्चर में 1945 की झलक दिखती है. आज दुनिया की जो वास्तविकता है, उसकी झलक UNSC में बिल्कुल भी नहीं दिखती है.’ पार्वथानेनी हरीश ने यह बातें कोलंबिया यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल एंड पब्लिक अफेयर्स (SIPA) में एक कार्यक्रम के दौरान कही हैं.
काउंसिल नहीं छोड़ना चाहते कई देश
पार्वथानेनी हरीश ने कहा,’इस बात पर आम सहमति है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार किया जाना चाहिए. इसमें विस्तार की जरूरत है. हालांकि कई ऐसे देश भी हैं, जो यथास्थिति को प्राथमिकता देते हैं. ये वो देश हैं, जो पहले से ही स्थायी सदस्य हैं. वे इसे (UNSC) खाली करना और वीटो पावर को नहीं छोड़ना चाहते. जिन्हें लगता है कि उनके पड़ोसियों को सदस्य बनने का मौका मिल सकता है. वे हर कीमत पर स्थायी कैटेगरी में विस्तार का विरोध करेंगे.
कौन से हैं UNSC के 5 स्थायी देश
बता दें कि वर्तमान में, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 5 स्थायी सदस्य और 10 अस्थायी सदस्य हैं. गैर-स्थायी सदस्यों को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा दो साल के कार्यकाल के लिए चुना जाता है. पांच स्थायी सदस्य- रूस, यूनाइटेड किंगडम, चीन, फ्रांस और संयुक्त राज्य अमेरिका हैं, जो किसी भी ठोस प्रस्ताव को वीटो करने की शक्ति रखते हैं.