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किसी को कोठी किसी को अपार्टमेंट… सांसद-मंत्रियों को किस आधार पर मिलते हैं सरकारी आवास?

केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में सरकार बन चुकी है. प्रधानमंत्री समेत 72 मंत्री शपथ ले चुके हैं. अब 18वीं लोकसभा के लिए सांसदों का शपथ ग्रहण होना है. पहले से ही मंत्री और सांसद रहे नेताओं के पास तो आवास हैं पर नए चुने गए सांसदों और मंत्रियों को दिल्ली में आवास आवंटित किए जाएंगे. सवाल उठता है कि केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को सरकारी आवास कैसे आवंटित होते हैं? बता दें कि सांसदों और मंत्रियों को बंगलों का आवंटन वरिष्ठता के आधार पर किया जाता है. आइए जान लेते हैं पूरी प्रक्रिया.

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केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को दिल्ली के लुटियंस जोन में आवास आवंटित किए जाते हैं. इसके लिए जनरल पूल रेजिडेंशियल एकोमोडेशन एक्ट के नियमों और शर्तों का पालन किया जाता है.

इस कानून के तहत मिलते हैं आवास

दरअसल, केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के तहत साल 1922 में एक विभाग बनाया गया था, डायरेक्टरेट ऑफ स्टेटस. इसी विभाग के पास पूरे देश में केंद्र सरकार की संपत्तियों की देखभाल का जिम्मा होता है. मंत्रियों और सांसदों के बंगलों और फ्लैट की देखभाल भी इसी के पास होती है. आवंटन और घर खाली कराने का जिम्मा भी इसी का होता है. वैसे सांसदों को आवास मुहैया कराने में इस विभाग के साथ ही लोकसभा और राज्यसभा की आवासीय समिति भी बड़ी भूमिका निभाती है. आवास का आवंटन जनरल पूल रेजिडेंशियल एकोमोडेशन एक्ट के तहत किया जाता है.

दिल्ली में यहां हैं सरकारी आवास

लुटियंस जोन में अलग-अलग 17 तरह के सरकारी कोठियां, घर, हॉस्टल, फ्लैट और गेस्ट हाउस हैं. सेंट्रल दिल्ली के नॉर्थ एवेन्यू, साउथ एवेन्यू, विश्वंभर दास मार्ग, मीना बाग, बाबा खड़ग सिंह मार्ग, तिलक लेन और विट्ठल भाई पटेल हाउस में सरकारी आवास हैं, जो कैबिनेट, राज्य मंत्रियों और सांसदों को आवंटित किए जाते हैं.

कुल आवासों की संख्या 3,959 बताई जाती है, जिनमें से लोकसभा सदस्यों के लिए कुल 517 आवास उपलब्ध हैं, जिनमें से 159 बंगले हैं. इनके अलावा 37 ट्विन फ्लैट हैं. 193 सिंगल फ्लैट, बहुमंजिला इमारतों में 96 फ्लैट और सिंगल रेगुलर हाउस 32 हैं.

कैबिनेट मिनिस्टर जैसे बंगले में रहता है वरिष्ठ सांसद

वरिष्ठता और कैटेगरी के आधार पर आवास का आवंटन होता है. सबसे छोटे टाइप-I से टाइप-IV तक के आवास केंद्रीय कर्मचारियों और अधिकारियों को दिए जाते हैं. इसके बाद टाइप-VI से टाइप-VIII तक के बंगले और आवास केंद्रीय मंत्रियों, राज्य मंत्रियों और सांसदों को आवंटित होते हैं. पहली बार चुने गए सांसदों को आमतौर पर टाइप-V बंगले दिए जाते हैं. वहीं, अगर कोई सांसद एक से ज्यादा बार चुनकर आता है तो उसको टाइप-VII और टाइप-VII वाला बंगला भी आवंटित किया जा सकता है. यही टाइप-VIII वाला बंगला कैबिनेट मंत्रियों, सुप्रीम कोर्ट के जज, पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व उपराष्ट्रपति, पूर्व प्रधानमंत्री और वित्त आयोग के अध्यक्ष को भी आवंटित किया जाता है.

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