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‘सभापति धनखड़ कभी खुद को RSS का एकलव्य बताते हैं, कभी सरकार की शान में पढ़ने लगते हैं कसीदे’, INDIA ब्लॉक की पीसी में बोले खड़गे

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने को लेकर विपक्षी इंडिया ब्लॉक के नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस के अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने देश के पहले उपराष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को याद किया. खड़गे ने सभापति पर पक्षपातपूर्ण व्यवहार का आरोप लगाया और अविश्वास प्रस्ताव लाने की वजह भी बताई.

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मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि उपराष्ट्रपति लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण स्तंभ होता है. इस कुर्सी पर कई लोग बैठे और बहुत काम किया. उन्होंने कहा कि इतने लंबे कालखंड में किसी उपराष्ट्रपति के खिलाफ ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं आया क्योंकि सबने गैरपक्षपातपूर्ण तरीके से काम किया. लेकिन आज हमें पक्षपातपूर्ण रवैये के कारण दुख के साथ अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ रहा है. खड़गे ने कहा कि नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है.

उन्होंने देश के प्रथम उपराष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को याद करते हुए कहा कि प्रथम उपराष्ट्रपति ने 1952 में कहा था कि वह किसी भी पार्टी से नहीं हैं. खड़गे ने कहा कि इसका मतलब है कि वह कह रहे हैं कि वे किसी पार्टी से नहीं आते और हर पार्टी से आते हैं जो उनकी निष्पक्षता दर्शाता है. उन्होंने कहा कि हमें दुख के साथ ये प्रस्ताव जगदीप धनखड़ के खिलाफ लाना पड़ रहा है. वह विपक्ष के सदस्यों की हेडमास्टर की तरह स्कूलिंग करने लगते हैं.

राज्यसभा में विपक्ष के नेता ने कहा कि वह (जगदीप धनखड़) कभी सरकार की शान में कसीदे पढ़ने लगते हैं, कभी खुद को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का एकलव्य बताते हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि सभापति सीनियर-जूनियर का भी खयाल नहीं रखते और विपक्षी नेताओं के लिए राजनीतिक बयानबाजियां करने लगते हैं. राज्यसभा में विपक्ष के नेता ने आरोप लगाया कि सभापति नहीं चाहते कि सदन में चर्चा हो. वह विपक्ष के नेताओं को बोलने से रोककर प्रवचन देने लगते हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष के लोग पांच मिनट बोलें तो 10 मिनट उनका भाषण होता है. खड़गे ने कहा कि संसद में विपक्ष की तरफ से नियमों के तहत जो भी विषय उठाए जाते हैं, उनपर सभापति नियोजित तरीके से बहस नहीं होने देते. विपक्षी नेताओं को बोलने से रोका जाता है. उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी निष्ठा संविधान और संवैधानिक परंपराओं की जगह सत्ताधारी दल के लिए है.

मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि वे प्रमोशन के लिए सरकार के प्रवक्ता बनकर काम कर रहे हैं, ऐसा हमें दिख रहा है. राज्यसभा में सबसे बड़े व्यवधान डालने वाले व्यक्ति खुद चेयरमैन हैं और वह दूसरों को हिदायत देते रहते हैं. उन्होंने कहा कि वह हमेशा सदन को ठप करने की कोशिश करते हैं. सभापति अधिक व्यवधान डालते हैं. खड़गे ने कहा कि विपक्षी दल संरक्षण के लिए चेयरमैन के पास जाते हैं लेकिन जब सभापति ही प्रधानमंत्री का खुला गुणगान करने में लगा रहे तो हम कहां जाएं.

उन्होंने कहा कि हम अगर एक सवाल पूछ लें तो सभापति सरकार का पक्ष लेते हैं. उनका व्यवहार देश में निराशा का कारण और देश के ताने-बाने में व्यवधान बन रहा है. खड़गे ने कहा कि सभापति के आचरण ने देश की गरिमा को बहुत नुकसान पहुंचाया है. उनके आचरण ने ऐसी स्थिति ला दी है कि हमें अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ा. उन्होंने यह भी दोहराया कि हमारी उनके साथ कोई निजी या राजनीतिक दुश्मनी नहीं है. हमें बड़ी मजबूरी में ये कदम उठाना पड़ा.

वे सदन नहीं, सर्कस चलाते हैं- संजय राउत

शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा कि यह व्यक्तिगत नहीं, व्यवस्था की लड़ाई है. सभापति सदन शुरू होने पर 40 मिनट पहले खुद भाषण देते हैं और उसके बाद कहते हैं दंगा करो. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि सभापति सदन नहीं चलाते, सर्कस चलाते हैं. संजय राउत ने सभापति पर संसदीय लोकतंत्र की परंपराओं की अवहेलना करने का आरोप लगाया.

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