उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में एक साल 103 साल के बुजुर्ग ने 14 महीनों बाद होली से पहले खुली हवा में सांस ली. बुजुर्ग पर उसी के बेटों ने झूठा मुकदमा दर्ज करवा कर जेल भिजवा दिया था. जेल में रहते हुए 14 महीनों तक कोई भी उससे मिलने नहीं आया. इसके बाद जेल अधीक्षक और सहयोग संस्था की कोशिशों के बाद बुर्जुग को जमानत मिल पाई है. इस तरह की घटना ने एक बार फिर मानवता को शर्मसार कर दिया है.
शाहजहांपुर के बंडा के बसंतापुर में रहने वाली बुजुर्ग गुरमीत सिंह ने अपने बेटों की गलत आदतों के परेशान होकर अपनी जमीन गुरुद्वारे के नाम कर दी थी. इस बात की जानकारी होते ही बेटों काफी नाराज हो गए और वह अपने पिता के खिलाफ साजिश रचने लगे थे. इस दौरान एक साल पहले बेटों ने अपने के खिलाफ घर में घुसकर गाली-गलौज समेत कई तरह के आरोप लगाते हुए पुलिस ने एफआईआर दर्ज कराई थी.
14 महीनों तक जेल में रहा बुजुर्ग
पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए बुजुर्ग को 14 महीनों पहले गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था. पिछले 14 महीनों में कोई भी बुजुर्ग से मिलने के लिए नहीं पहुंचा और ना ही बेटों की तरफ से पिता की जमानत को लेकर कोई प्रयास किए गए. जेल में रहते हुए गुरदीप ने रोजमर्रा की जरूरत पड़ने पर जेल अधीक्षक मिजाजी लाल से संपर्क किया था. अधीक्षक ने बुजुर्ग की मदद करते हुए उन्हें स्वेटर और कपड़े आदि मुहैया कराए थे.
सहयोग संस्था ने कराई बुजुर्ग की जमानत
साथ ही जेल अधीक्षक ने बंदी गुरदीप सिंह को रिहा कराने के लिए स्वयंसेवी संस्था सहयोग से बात की थी. इसके बाद सहयोग संस्था ने कोर्ट से 15 दिनों के अंदर बुजुर्ग को बुधवार को जमानत करा दी. जमानत कराने के दौरान गुरदीप के बेटों ने पेंच फंसा दिया था. हालांकि, बाद में संस्था टीम और उनके वकीलों ने पैरवी करते हुए बंदी गुरदीप सिंह को कारागार से रिहा करा दिया. संस्था के सदस्यों ने बुजुर्ग के रहने और खाने की व्यवस्था की जिम्मेदारी ली है.