सोनभद्र : नवसृजित विकास खंड कोन के ग्राम पंचायत कचनरवा में संचालित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कचनरवा की जमीन पर अतिक्रमणकारियों द्वारा मकान बनाकर कब्जा करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है.इस खुलासे ने दूसरे दानदाताओं और स्थानीय ग्रामीणों के गुस्से को सातवें आसमान पर पहुंचा दिया है, जिन्होंने प्रशासन पर ‘लीपापोती’ का आरोप लगाते हुए जोरदार प्रदर्शन किया। समाजसेवी जोखन प्रसाद यादव की अगुवाई में “हॉस्पिटल की जमीन खाली करो, खाली करो” के नारों से पूरा इलाका गूंज उठा.

हॉस्पिटल के दान की कहानी, अतिक्रमण की जुबानी:
दरअसल, कचनरवा क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के उद्देश्य से कुछ साल पहले स्वास्थ्य विभाग की अपील पर स्थानीय निवासी उदय लाल श्रीवास्तव और सीताराम ने मिलकर वर्ष 1997 में पांच बीघा जमीन हॉस्पिटल बनाने के लिए राज्यपाल के नाम दान की थी। उदय लाल श्रीवास्तव की डेढ़ बीघा जमीन पर तो हॉस्पिटल बनकर संचालित हो गया, लेकिन सीताराम की साढ़े तीन बीघा जमीन, जो कैंपस विस्तार और अन्य सुविधाओं के लिए सुरक्षित रखी गई थी, उसी पर हॉस्पिटल प्रबंधन की लापरवाही और राजस्व विभाग की कथित मिलीभगत से कुछ लोगों ने मकान बना लिए हैं। यह अब दानदाताओं और स्थानीय लोगों के लिए ‘गले का फांस’ बन गया है.
दानदाताओं का दर्द, प्रशासन पर आरोप:
दानदाता उदय लाल श्रीवास्तव की पत्नी सरोज देवी का आरोप है कि हॉस्पिटल की पूरी जमीन को हॉस्पिटल प्रबंधन तत्काल अपने कब्जे में ले, नहीं तो उनकी जमीन वापस दिलाई जाए। उन्होंने संबंधित विभाग और राजस्व विभाग पर मिलीभगत से जमीन पर कब्जा करने का गंभीर आरोप लगाया है। न्याय की गुहार लगाते हुए सरोज देवी ने मुख्यमंत्री, जिलाधिकारी, उप जिलाधिकारी को पत्र भेजा है और सक्षम न्यायालय में वाद भी दाखिल किया है।
पूर्व जनप्रतिनिधियों का भी फूटा गुस्सा:
पूर्व उप ब्लॉक प्रमुख चोपन राजनारायण जायसवाल ने बताया कि पूर्व राज्य मंत्री सूबेदार प्रसाद, जिला पंचायत सदस्य मटुकधारी सिंह और उनके अथक प्रयासों से कचनरवा पीएचसी के लिए यह जमीन उपलब्ध कराई गई थी। लेकिन किन्हीं कारणों से हॉस्पिटल की जमीन पर कब्जा कर मकान तक बना लिए गए. उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और संबंधित विभाग से मांग की है कि हॉस्पिटल की जमीन को मुक्त कराकर भव्य और सुविधायुक्त हॉस्पिटल का सौंदर्यीकरण कराया जाए, जो यहां के गरीब आदिवासियों के लिए वरदान साबित होगा.
राजस्व विभाग की ‘नाकामी’ या ‘मिलीभगत’?:
समाजसेवी जोखन प्रसाद यादव ने इस हॉस्पिटल को गरीब आदिवासियों के लिए वरदान बताया, लेकिन हॉस्पिटल प्रबंधन और राजस्व विभाग पर करारा हमला बोला.उन्होंने आरोप लगाया कि राजस्व विभाग की नाकामी या उनके द्वारा राजस्व रिकॉर्ड में रकबे की हेराफेरी के चलते अतिक्रमणकारियों ने घर तक बना लिए हैं.उन्होंने पूर्व ब्लॉक प्रमुख की बातों का समर्थन करते हुए कहा कि उनकी बातें ‘कटु सत्य’ हैं। जोखन प्रसाद यादव ने प्रदेश सरकार से तत्काल हॉस्पिटल की जमीन को मुक्त कराकर भव्य निर्माण कराने की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर जमीन खाली नहीं कराई गई, तो वे जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर धरना प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे, जिसकी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी.
क्षेत्र के लिए ‘वरदान’, फिर भी ‘लापरवाही’ का शिकार:
वरिष्ठ समाजसेवी राम लगन यादव ने भी इस हॉस्पिटल को क्षेत्र के लिए वरदान बताते हुए कहा कि यह विडंबना है कि हॉस्पिटल की जमीन पर कुछ लोगों ने कब्जा कर घर तक बना लिए हैं.उन्होंने प्रदेश सरकार से अनुरोध किया है कि हॉस्पिटल की भूमि को मुक्त कराकर भव्य और सुविधायुक्त बनाया जाए ताकि स्थानीय लोगों को इसका अधिक से अधिक लाभ मिल सके.
स्वास्थ्य सेवाएं भी ‘बीमार‘?:
गौर करने वाली बात यह भी है कि यह स्वास्थ्य केंद्र बिना प्रशिक्षित नर्स और वार्ड बॉय के, केवल एक चिकित्सक, एक एएनएम और एक फार्मासिस्ट से संचालित हो रहा है। दबी जुबान से लोगों ने यह भी बताया कि यहां दो चिकित्सकों की नियुक्ति है, लेकिन एक का पता ही नहीं चलता है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। हॉस्पिटल परिसर में झाड़ियों का अंबार लगा हुआ है, जो इसकी बदहाली को और उजागर करता है.
प्रदर्शन में शामिल रहे ये प्रमुख लोग:
इस जोरदार प्रदर्शन में मुख्य रूप से पूर्व ब्लॉक प्रमुख चोपन राजनारायण जायसवाल, जिला पंचायत सदस्य छविंद्र नाथ चेरो, वरिष्ठ समाजसेवी बिहारी प्रसाद यादव, भाजपा बूथ अध्यक्ष कैलाल राम भारती, रामाधीन पासवान, रघुवर प्रसाद, समाजसेवी रामलगन यादव, ओम प्रकाश यादव, गोरखनाथ और सरोज देवी शामिल रहे। सभी ने एक सुर में प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है.