सोनभद्र: मनरेगा में महा-घोटाला: विकास के नाम पर सरकारी ‘लूट’ और अब ‘लीपापोती’ का खेल!

Uttar Pradesh: सोनभद्र जिले के चोपन ब्लॉक का पनारी क्षेत्र आजकल विकास के नाम पर हुए भ्रष्टाचार का जीता-जागता उदाहरण बन गया है! यहां महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत ₹10.88 लाख से अधिक की लागत से बने काशी खाड़ी खड़िया नाले पर जल अवरोधक निर्माण कार्य में खुलेआम धांधली सामने आई है। वर्ष 2023 में बना यह निर्माण, अपनी आधी अवधि से भी पहले ही जर्जर होकर दम तोड़ रहा है.

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विकास नहीं, ये तो ‘सरकारी लूट’ है!

22 मार्च, 2023 को शुरू हुआ यह कार्य, जिसकी मौजूदा हालत भ्रष्टाचार की चीख-चीखकर गवाही दे रही है, विकास कार्यों की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठाता है। कई जगहों पर बड़ी-बड़ी दरारें साफ दिख रही हैं, तो कुछ हिस्से पूरी तरह से टूटकर बिखर चुके हैं। यह सिर्फ एक निर्माण की विफलता नहीं, बल्कि सार्वजनिक धन के घोर दुरुपयोग का एक दुखद और शर्मनाक उदाहरण है.

सूत्रों की मानें तो पनारी में विकास के नाम पर खुला लूट तंत्र चल रहा है! जंगल से मिट्टी हटाने और पत्थर निकालने के नाम पर लाखों रुपये हजम कर लिए गए। इसे विकास कहना गलत होगा, यह तो सरकारी तिजोरी पर सुनियोजित डाका है.

भ्रष्टाचार उजागर होते ही ‘लीपापोती’ शुरू!

जैसे ही इस महा-भ्रष्टाचार की खबर बाहर आई, कुछ जिम्मेदार अधिकारी आनन-फानन में सीमेंट और बालू लेकर लीपापोती करने पहुंच गए। यह हरकत साफ दर्शाती है कि यदि शुरुआत में ही काम ईमानदारी से हुआ होता, तो आज इस तरह अपनी गलतियों पर पर्दा डालने की नौबत ही नहीं आती। यह अधिकारियों की जवाबदेही से बचने की साफ कोशिश है.

अधिकारियों की भूमिका पर बड़ा सवाल!

सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस ₹10.88 लाख के निर्माण कार्य की गुणवत्ता की निगरानी कौन कर रहा था? किस आधार पर इस घटिया काम को पास किया गया? क्या संबंधित अधिकारियों ने निर्माण के दौरान कोई जांच नहीं की, या फिर जानबूझकर भ्रष्टाचार को अनदेखा किया गया? यह मामला स्थानीय प्रशासन और संबंधित विभागों की कार्यप्रणाली पर गहरा संदेह पैदा करता है और उनकी जवाबदेही पर सीधा प्रश्नचिन्ह लगाता है.

पनारी: ‘विकसित’ गाँव की कड़वी सच्चाई!

पनारी गाँव, जिसकी आबादी 35 हजार के करीब है और जिसमें 64 टोले शामिल हैं, चोपन ब्लॉक का एक विशाल और महत्वपूर्ण गाँव है। 20 से 22 किलोमीटर के दायरे में फैले इस गाँव में पांच रेलवे स्टेशन – सलईबनवा, फफराकुंड, मगरदहा, ओबरा डैम और गुरमुरा – भी हैं. 2020 में यहां 16344 मतदाता थे, जो अब 21 हजार तक पहुंच चुके हैं.

लेकिन इस तथाकथित ‘विकसित’ गाँव की कड़वी सच्चाई यह है कि अदरा कूदर,

छत्ताडांड, ढोढहार जैसे कई टोले, जहां प्रत्येक में करीब 700 की आबादी है, आज भी बिना बिजली और बिना स्कूल के अंधेरे में जी रहे हैं। यह विडंबना साफ दर्शाती है कि एक तरफ जहां विकास के नाम पर लाखों रुपये पानी में बहाए जा रहे हैं और उन पर भी भ्रष्टाचार हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ बुनियादी सुविधाओं के लिए भी लोग तरस रहे हैं.

अब जनता को उठानी होगी आवाज!

भ्रष्ट निर्माण कार्य सीधे तौर पर जनता के विश्वास को ठेस पहुंचाते हैं और उनके जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। ऐसे मामलों में त्वरित और कठोर कार्रवाई की नितांत आवश्यकता है। संबंधित अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ निष्पक्ष जांच कर उन्हें सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो.

यह समय है कि जनता भी इस पर चुप न रहे। अपनी आवाज उठाना, सवाल पूछना और प्रशासन को जवाबदेह ठहराना हम सबका कर्तव्य है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हमारे गाँव और क्षेत्रों में विकास के नाम पर भ्रष्टाचार का ऐसा खेल फिर कभी न हो। पनारी के लोगों को अब अपने अधिकारों के लिए खुलकर सामने आना होगा और इन भ्रष्ट अधिकारियों व ठेकेदारों पर लगाम कसनी होगी.

 

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