सोनभद्र: करीब साढ़े पांच साल पहले एक दलित नाबालिग लड़की के साथ प्यार, धोखे और गुनाह के एक सनसनीखेज मामले में सोनभद्र की अदालत ने न्याय का डंडा चलाया है. अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट अमित वीर सिंह की अदालत ने गुरुवार को सुनवाई करते हुए आरोपी गौरव पटेल को दोषसिद्ध पाया और उसे 10 वर्ष की कठोर कैद और 10 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई. अगर गौरव अर्थदंड अदा नहीं करता है, तो उसे एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी. जेल में बिताई गई अवधि उसकी सजा में समाहित की जाएगी, वहीं अर्थदंड की धनराशि में से 8 हजार रुपये पीड़िता को मिलेंगे.
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, यह मामला 13 दिसंबर 2019 को पन्नूगंज थाने में दर्ज एक तहरीर से शुरू हुआ था. पन्नूगंज थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी दलित पीड़िता, जो उस वक्त कक्षा 10 की छात्रा थी, ने आरोप लगाया था कि स्कूल जाते समय गौरव पटेल पुत्र श्रीनाथ पटेल निवासी बेलहिया, थाना पन्नूगंज से उसका संपर्क हो गया। गौरव ने उसे शादी का झांसा देकर संबंध बनाए. जब पीड़िता गर्भवती हो गई, तो गौरव ने उसे दवा खिलाकर गर्भपात करा दिया.
सबसे चौंकाने वाला मोड़ तब आया जब 1 दिसंबर 2019 को दोपहर बाद 3 बजे पीड़िता चतरा बाजार सामान लेने गई, जहां गौरव पटेल उससे मिला और मंदिर में चलकर शादी करने का दबाव बनाने लगा. पीड़िता ने उस पर विश्वास करके उसके साथ गई, लेकिन गौरव उसे एक सुनसान जगह ले गया और जाति सूचक शब्दों से गाली देते हुए चाकू दिखाकर धमकी दी कि वह शादी नहीं करेगा। दूसरे दिन 2 दिसंबर को उसने पीड़िता को छोड़ दिया और धमकी दी कि अगर इस बारे में किसी को बताया तो पूरे परिवार को जलाकर मार डालेगा.
इस गंभीर तहरीर पर तत्काल एफआईआर दर्ज की गई और पुलिस ने मामले की गहन विवेचना की। पर्याप्त सबूत मिलने पर विवेचक ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की. अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान और पत्रावली का अवलोकन करने के बाद गौरव पटेल को दोषी पाया। अभियोजन पक्ष की ओर से सरकारी वकील दिनेश प्रसाद अग्रहरि, सत्यप्रकाश त्रिपाठी और नीरज कुमार सिंह ने प्रभावी बहस की। यह फैसला समाज में ऐसे अपराधों पर लगाम लगाने के लिए एक कड़ा संदेश देगा.