सोनभद्र : विंढमगंज के जंगल में इन दिनों ‘खुलेआम’ खेला जा रहा है अवैध खनन और परिवहन का ‘खूनी खेल’.शासन के ‘सख्त’ आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए, कनहर और मालिया नदी बन गई हैं बालू माफियाओं के लिए ‘सोने की खान’.हर रात, दर्जनों ट्रैक्टर ‘गुपचुप’ तरीके से नदी का सीना चीरकर बालू निकालते हैं और ‘रफ्तार के सौदागर’ बनकर सड़कों पर दौड़ते हैं, मानो कानून की कोई ‘औकात’ ही न हो.
बीती रात, वन विभाग के ‘जांबाज’ दस्ते ने गश्त के दौरान फुलवार के पास मालिया नदी से अवैध बालू भरकर भाग रहे एक ट्रैक्टर को धर दबोचा.ट्रैक्टर का मालिक, फुलवार का ‘रसूखदार’ अवधेश गुप्ता निकला.अब उसकी ‘शाही सवारी’ रेंज ऑफिस में खड़ी है और वन अधिनियम की ‘लंबी-चौड़ी’ धाराओं के तहत कार्रवाई की जा रही है.
लेकिन, ग्रामीणों की मानें तो यह तो सिर्फ ‘एक मछली’ पकड़ी गई है, जबकि ‘पूरा तालाब’ ही गंदा है.उनका कहना है कि कनहर और मालिया नदी के किनारे बसे गांवों से हर रात ‘ट्रैक्टरों का काफिला’ निकलता है, जो अवैध बालू से लदा होता है और इन ‘काले कारोबारियों’ की जेबें भरता रहता है.
सबसे ‘मजेदार’ बात तो यह है कि जब कभी कोई ट्रैक्टर पकड़ा भी जाता है, तो ‘जिम्मेदार’ अधिकारी ‘बड़ी कार्रवाई’ करने के बजाय ‘छोटी सी रकम’ का जुर्माना वसूलकर उसे ‘आजाद’ कर देते हैं.इससे इन खनन माफियाओं का हौसला इतना ‘बुलंद’ हो जाता है कि ट्रैक्टर छूटते ही अगली रात फिर नदी से बालू भरकर ‘दबंगई’ दिखाते हुए सड़कों पर दौड़ते हैं.
इन ‘रात के बादशाहों’ की तेज रफ्तार गाड़ियों से न सिर्फ घरों के सामने बंधे बेजुबान जानवर खतरे में पड़ते हैं, बल्कि सड़क पर चलने वाले आम राहगीरों की जान भी ‘हथेली’ पर रहती है.और तो और, रात भर ट्रैक्टरों के ‘कानफोड़ू’ शोर से बेचारे आम नागरिक चैन की नींद भी नहीं सो पाते.
हालांकि, वन विभाग के रेंजर इमरान खान का कहना है कि उन्हें अवैध खनन और परिवहन की सूचनाएं मिलती रहती हैं और इसी कड़ी में बीती रात यह कार्रवाई की गई. उन्होंने ‘कसम’ खाई है कि क्षेत्र में अवैध बालू का खनन और परिवहन किसी भी सूरत में नहीं होने दिया जाएगा और ‘कानून का शिकंजा’ कसता रहेगा.
अब देखना यह है कि वन विभाग की यह ‘छोटी सी’ कार्रवाई इन ‘बड़े’ मगरमच्छों पर कितना असर डालती है! फिलहाल, इस कार्रवाई से अवैध बालू का धंधा करने वालों में ‘हड़कंप’ जरूर मचा हुआ है, लेकिन यह ‘हड़कंप’ कब तक टिकता है, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा! क्या यह छापेमारी सिर्फ ‘आंखों में धूल झोंकने’ वाली साबित होगी या वाकई इन ‘कानून के दुश्मनों’ पर लगाम कसेगी? जनता तो यही चाहती है कि ‘नदी का सीना’ लूटना बंद हो और ‘सड़कों पर मौत’ बनकर दौड़ते इन ट्रैक्टरों पर ‘स्थायी’ रोक लगे.