उत्तर प्रदेश के चर्चित जिलों में शामिल सोनभद्र में हो रहे अवैध खनन के मामले को लेकर इसकी गूंज राजधानी तक सुनाई देने लगी है. सोनभद्र के ओबरा तहसील अंतर्गत सोन नदी के ग्राम अगोरी, बरहमोरी व भगवा में हो रहे अवैध बालू खनन से सोन नदी को बचाने के लिए जन अधिकार पार्टी के निवर्तमान मण्डल अध्यक्ष भागीरथी सिंह मौर्य ने 17 दिसम्बर 2024 को खनन निदेशालय लखनऊ पहुंच खनन निदेशक माला श्रीवास्तव से मुलाकात कर ज्ञापन सौंप अवैध खनन पर तत्काल रोक लगाए जाने की मांग किया है. ताकि खनन से दिन प्रतिदिन घायल होती जा रही सोन नदी को बचाया जा सके.
वह बताते हैं कि मध्य प्रदेश के अमरकंटक से निकली सोन नदी उत्तर प्रदेश के सोनभद्र से होकर पटना बिहार को जाती है. जिसका उल्लेख रामायण आदि पुराणों में भी मिलता है. सोन नदी से करोड़ों लोगों की आस्था जुडी हुई है. लोग सोन नदी की पूजा-आरती करने के साथ ही मन्नते मानते हैं. एक तरफ जहां सोन नदी लोगों के लिए आस्था का केंद्र है, वहीं अवैध खनन से सोन नदी चीख रही है, सोन नदी का मूल स्वरूप मिटता नजर आ रहा है जिसे प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है. इस संबंध में जन अधिकार पार्टी ने 28 नवम्बर 2024 को जिला खान (खनन) अधिकारी सोनभद्र को पत्र सौंप कार्यवाही की मांग किया था.
जिसको संज्ञान में लेकर एनजीटी की टीम का जनपद में आना हुआ जिससे बालू खननकर्ताओं, पट्टाधारकों में इस कदर हड़कंप मच गया था. प्रतिबंधित मशीने सोन नदी से बाहर कर दी गयी थी, परन्तु सोन नदी में हो रहे अवैध खनन व नदी के साथ किए गए छेड़छाड़ को आज रोका नहीं जा सका है. भागीरथी सिंह मौर्य ने बताया कि एनजीटी टीम को सोनभद्र से वापस जाते ही प्रतिबंधित मशीने सोन नदी में प्रवेश कर गयी और खननकर्ताओं, लीज धारकों द्वारा बेखौफ अवैध खनन सुरु कर दिया गया. जिसको लेकर 9 दिसम्बर व 13 दिसम्बर 2024 को भी पत्र भेज अवैध खनन पर प्रतिबंध लगाए जाने को लेकर जिला खान (खनिज) अधिकारी सोनभद्र व अन्य से मांग किया गया था, परन्तु किसी प्रकार की कार्यवाही न किए जाने से ऐसा प्रतीत होता है कि जिला खानअधिकारी द्वारा बालू लीज धारकों, पट्टा धारकों को सोन नदी में अवैध खनन के लिए खुली छूट दे दी गयी है.
कार्रवाई न होता देख बाध्य होकर शिकायतकर्ता ने भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय लखनऊ पहुंच खनिज निदेशक माला श्रीवास्तव से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपकर अवैध खनन पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग किया.
भागीरथी सिंह मौर्य बताते हैं कि सोन नदी की जलधारा को बांध पुल बनाकर लिफ्टिंग मशीनों (नाव मशीनों) व पोकलेन मशीनों द्वारा बालू का खनन किया जा रहा है, जबकि एनजीटी एवं उत्तर प्रदेश सरकार के आदेशानुसार बालू खनन के लिए किसी भी दशा में नदी की जलधारा को मोड़, प्रभावित नहीं किया जा सकता है एवं लिफ्टिंग मशीन (नाव मशीन) व पोकलेन मशीन का प्रयोग भी प्रतिबंधित है, इसके बावजूद भी बालू खननकर्ताओ द्वारा नदी की जलधारा को बांधकर लिफ्टिंग मशीन (नाव मशीन) व पोकलेन मशीन के द्वारा बालू खनन का कार्य किया जा रहा है जिससे नदी के मूल स्वरूप तथा अस्तित्व पर गंभीर खतरा मड़रा रहा है वहीं दूसरी तरफ प्रतिदिन घंडियाल, मगरमच्छ और कछुआ सहित असंख्य विविध जलीय जीव जंतुओं का जीवन समाप्त हो रहा है, जो सीधे पर्यावरण के लिए खतरा है जिसका असर मानव जीवन पर भी पड़ेगा.
बालू लीज, पट्टाधारकों द्वारा लीज एरिया से बढ़कर नदी की जलधारा में बालू का खनन करने पर तत्काल रोक लगाये जाने, लिफ्टिंग मशीनो (नाव मशीन) द्वारा किए जा रहा बालू खनन जिस पर तत्काल रोक लगाते हुए मजदूरों द्वारा कराये जाने, नदी की जलधारा को मोड़कर एवं पुल बनाकर सेक्शन मशीनों द्वारा नदी की जलधारा से बालू निकाला जा रहा है जिस पर तत्काल रोक लगाये जाने, बालू लीज स्थल पर रेट बोर्ड लगाये जाने, बालू लीज स्थल के प्रत्येक कोने पर सीमा स्तंभ व लीज होल्डर का बोर्ड लगाए जाने व बोर्ड पर लीज होल्डर का पूरा नाम, पता, मोबाइल नंबर तथा रखबा लिखे जाने की मांग किया है. जिससे सोन नदी का मूल स्वरूप एवं जलीय जीव जंतुओं का जीवन बच सके एवं पर्यावरण संतुलन बना रहे.