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नेहरू से जुड़े पेपर लौटाएं सोनिया गांधी… नेहरू मेमोरियल ने राहुल को लिखा पत्र

नेहरू मेमोरियल के सदस्य इतिहासकार रिजवान कादरी ने कांग्रेस सांसद व लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को पत्र लिखा है. उन्होंने कहा है कि सोनिया गांधी की कस्टडी में नेहरू से जुडे पेपर हैं, उसको पीएम म्यूजियम और लाइब्रेरी को लौटाया जाए. पहले इसी संबंध में वे सोनिया गांधी को भी लिख चुके हैं. ये पत्र एडविना माउंटबेटन से उनके पत्राचार से संबंधित है.

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उन्होंने लिखा, ‘मैं आज आपको प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (पीएमएमएल) के बारे में लिख रहा हूं, जिसे पहले नेहरू स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय (एनएमएमएल) के नाम से जाना जाता था. जैसा कि आप जानते हैं, पीएमएमएल भारत के आधुनिक और समकालीन इतिहास को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिसमें साम्राज्यवाद विरोधी संघर्ष भी शामिल है. जवाहरलाल नेहरू स्मारक निधि ने 1971 में जवाहरलाल नेहरू के प्राइवेट पेपर्स उदारतापूर्वक पीएमएमएल को ट्रांसफर कर दिए थे. ये दस्तावेज भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण कालखंड के बारे में अमूल्य जानकारी प्रदान करते हैं.’

‘दस्तावेज नेहरू परिवार के लिए हैं महत्वपूर्ण’

उन्होंने आगे लिखा, ‘साल 2008 में तत्कालीन यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी के अनुरोध पर इन दस्तावेजों का एक संग्रह पीएमएमएल से वापस ले लिया गया था. हम समझते हैं कि ये दस्तावेज नेहरू परिवार के लिए व्यक्तिगत महत्व रखते होंगे. हालांकि, पीएमएमएल का मानना है कि इन ऐतिहासिक सामग्रियों में जयप्रकाश नारायण, पद्मजा नायडू, एडविना माउंटबेटन, अल्बर्ट आइंस्टीन, अरुणा आसफ अली, विजय लक्ष्मी पंडित, बाबू जगजीवन राम और गोविंद बल्लभ पंत जैसी हस्तियों के साथ पत्राचार शामिल हैं. इन पत्राचार से शोधकर्ताओं को बहुत लाभ होगा. संभावित समाधानों की खोज में आपके सहयोग के लिए हम आभारी होंगे.’

रिजवान कादरी ने राहुल गांधी से क्या-क्या कहा?

रिजवान कादरी ने पत्र में राहुल गांधी से कहा, ‘मैंने औपचारिक रूप से सोनिया गांधी से इन दस्तावेजों को पीएमएमएल को वापस करने या डिजिटल कॉपियां देने या शोधकर्ताओं को उन्हें स्कैन करने की अनुमति देने का अनुरोध किया है. विपक्ष के नेता के रूप में मैं आपसे इस मुद्दे का संज्ञान लेने और भारत की ऐतिहासिक विरासत के संरक्षण की वकालत करने का आग्रह करता हूं. हमारा मानना है कि एक साथ काम करके हम भविष्य की पीढ़ियों के लाभ के लिए इन महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेजों का उचित संरक्षण सुनिश्चित कर सकते हैं.’

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