छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के संविदाकर्मी 18 अगस्त से हड़ताल पर हैं। इस आंदोलन ने प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को पूरी तरह से प्रभावित कर दिया है। अपनी 10 सूत्रीय मांगों को लेकर कर्मचारी अलग-अलग तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं। इनमें खून से खत लिखना और तीजा पर पति के नाम की जगह ‘नियमितीकरण’ मेंहदी में लिखवाना शामिल है। महिलाओं का कहना है कि यह उनकी मजबूरी को दर्शाता है।
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि कर्मचारियों की 10 में से 5 मांगें मान ली गई हैं और शेष मांगों के लिए केंद्र को पत्र भेजा गया है। हालांकि संविदाकर्मियों का कहना है कि बिना लिखित आदेश वे हड़ताल खत्म नहीं करेंगे।
हड़ताल की वजह से स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह से प्रभावित हैं। कई अस्पतालों में प्रसव, ऑपरेशन थिएटर और जांच जैसी जरूरी सुविधाएं ठप पड़ी हैं। मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। स्थिति को संभालने के लिए सरकार ने नियमित कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं, लेकिन फिर भी हालात काबू में नहीं आ पा रहे हैं।
NHM संविदाकर्मी सरकार पर चुनावी वादाखिलाफी का आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि भाजपा ने चुनावी घोषणा पत्र में 100 दिनों के भीतर नियमितीकरण का वादा किया था, लेकिन 20 महीने बाद भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इससे नाराज होकर उन्होंने चरणबद्ध आंदोलन शुरू किया, जो अब राज्य स्तर पर पहुंच चुका है।
धरने पर बैठी महिला कर्मचारी संगीता मिश्रा ने कहा कि वे त्योहारों की परवाह नहीं कर रही हैं और सिर्फ नियमितीकरण की लड़ाई लड़ रही हैं। वहीं तिल्दा की ममता सोनवानी का कहना है कि रोज़ाना 200 रुपये खर्च करके धरने में शामिल होना उनकी मजबूरी है।
सरकार ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों (CMHO) को निर्देश दिया है कि गैरहाजिर कर्मचारियों की सूची तैयार करें और नियमानुसार कार्रवाई करें। लेकिन कर्मचारी साफ कह रहे हैं कि बिना लिखित आदेश वे वापस ड्यूटी पर नहीं लौटेंगे।
प्रदेशभर में आंदोलन तेज हो रहा है और 16 हजार कर्मचारी एक साथ धरने में शामिल होने की तैयारी में हैं। इससे साफ है कि जब तक सरकार कोई ठोस लिखित आश्वासन नहीं देती, तब तक यह हड़ताल जारी रहने वाली है।