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श्रीनगर: फुटबॉल मैच से पहले राष्ट्रगान के लिए खड़े नहीं होने पर एक्शन, हिरासत में लिए गए 15 लोग

जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में मंगलवार (30 सितंबर) शाम को फुटबॉल टूर्नामेंट के दौरान 15 दर्शकों को हिरासत में ले लिया गया. क्योंकि ये लोग कथित तौर पर राष्ट्रगान के दौरान खड़े नहीं हुए थे. हालांकि उनके परिवारों ने इस घटना के लिए बैंड के धीमे और अस्पष्ट प्रदर्शन को जिम्मेदार ठहराया है. उनका कहना है कि धीमी आवाज की वजह से उन्हें राष्ट्रगान शुरू होने का पता ही नहीं चला इसलिए वो खड़े नहीं हुए,

दरअसल श्रीनगर में पुलिस शहीद फुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजित किया गया था. फाइनल मुकाबले में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी टीआरसी स्थित सिंथेटिक टर्फ फुटबॉल ग्राउंड पहुंचे थे. प्रोटोकॉल के अनुसार, समारोह के दौरान लाइव बैंड द्वारा राष्ट्रगान बजाया गया.

राष्ट्रगान के दौरान खड़े न होने पर एक्शन

सूत्रों के मुताबिक कोठीबाग पुलिस स्टेशन के अधिकारियों ने राष्ट्रगान के दौरान खड़े न होने पर दर्शक दीर्घा में बैठे 15 लोगों को हिरासत में ले लिया. आरोप है कि जब राष्ट्रगान चल रहा था उस समय ये लोग बैठे हुए थे. सूत्रों ने बताया कि इन लोगों को प्रोटोकॉल का पालन न करने के कारण हिरासत में लिया गया है. उन्होंने आगे बताया कि घटना की वास्तविक परिस्थितियों का पता लगाने के लिए जांच चल रही है.

परिजनों ने दी सफाई

जिन लोगों को हिरासत में लिया गया है उनके परिवार वालों सफाई देते हुए कहा कि यह घटना जानबूझकर किया गया अनादर नहीं, बल्कि एक गलतफहमी थी. एक अभिभावक ने बताया ‘एक बैंड राष्ट्रगान बजा रहा था और जहां पर वे बैठे थे, वहां से आवाज बहुत धीमी और अस्पष्ट थी. उन्होंने राष्ट्रगान की शुरुआत नहीं सुनी और इसलिए समय पर खड़े नहीं हो पाए. यह एक वास्तविक गलती थी, जानबूझकर किया गया अनादर नहीं’.

सार्वजनिक कार्यक्रमों में राष्ट्रगान बजाने के लिए कड़े प्रोटोकॉल लागू होते हैं और खड़े होकर सम्मान प्रकट करना नागरिकों का मौलिक कर्तव्य माना जाता है. राष्ट्रीय सम्मान अपमान निवारण अधिनियम, 1971, राष्ट्रगान और भारतीय ध्वज के जानबूझकर अनादर से संबंधित है.

मनोज सिन्हा ने समारोह को किया संबोधित

इधर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने 20वें जम्मू-कश्मीर पुलिस शहीद स्मारक फुटबॉल टूर्नामेंट के समापन समारोह में कहा किजो लोग अलगाववादियों और आतंकवादियों की भाषा बोलते हैं, वे हमारे शहीदों के बलिदान का अपमान करते हैं और उनकी आत्मा को ठेस पहुंचाते हैं, ऐसे लोगों के खिलाफ देश के कानून के अनुसार सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी.”

‘देश का अपमान करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा’

उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की धरती देश की अखंडता के लिए शहीद हुए जम्मू-कश्मीर पुलिस, सेना और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के जवानों के खून और बलिदान से सनी है और अगर कोई भारत की संप्रभुता और पुलिस शहीदों की स्मृतियों का अपमान करेगा, तो उसे बख्शा नहीं जाएगा. उपराज्यपाल ने जम्मू-कश्मीर पुलिस के बहादुर जवानों की निस्वार्थ सेवा और सर्वोच्च बलिदान को सलाम किया साथ ही जम्मू-कश्मीर की प्रगति और समृद्धि के लिए सुरक्षा, स्थिरता और सुरक्षित वातावरण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की.

‘जम्मू कश्मीर बलिदान की परंपरा का प्रतीक’

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर सेना, पुलिस और सीएपीएफ के हमारे बहादुर योद्धाओं के बलिदान की परंपरा का प्रतीक है, इसलिए शहीदों की स्मृतियों को संरक्षित करना न केवल बलों की बल्कि पूरी जनता की जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि हमारे वीर जवानों ने समाज के सपनों को साकार करने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी. उनके सर्वोच्च बलिदान से ही शांति, प्रगति और समृद्धि संभव हुई है. उन्होंने कहा कि समाज देश के लिए सैनिकों के अपार बलिदान का ऋण कभी नहीं चुका सकता, लेकिन उन्हें हमारे वीरों और उनके परिजनों का सम्मान अवश्य करना चाहिए.

विजेता टीम को उपराज्यपाल ने सौंपी ट्रॉफी

इस दौरान उपराज्यपाल ने खिलाड़ियों से बातचीत की और विजेता एवं अन्य शीर्ष प्रदर्शन करने वाली टीमों और टूर्नामेंट में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को ट्रॉफी और नकद पुरस्कार प्रदान किए. फाइनल में, जेएंडके बैंक ने कश्मीर एवेंजर्स फुटबॉल क्लब को हराया और 20वें जेएंडके पुलिस शहीद स्मारक फुटबॉल टूर्नामेंट का विजेता बना.

समापन समारोह में पुलिस महानिदेशक नलिन प्रभात, विशेष महानिदेशक समन्वय पुलिस मुख्यालय एसजेएम गिलानी, एडीजीपी सशस्त्र आनंद जैन, पुलिस और नागरिक प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी, फुटबॉल एसोसिएशन और क्लबों के सदस्य, प्रमुख खेल हस्तियां और बड़ी संख्या में युवा शामिल हुए.

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