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तीन छात्राओं ने की 1 हजार साल पुराने सिक्कों की खोज, राजाराजन चोल ने किए थे जारी

तमिलनाडु के सरकारी स्कूल की लड़कियों को रेत में खेलते समय 1000 साल पुराने राजराजन सिक्के मिले है. जानकारी के मुताबिक रामनाथपुरम स्थित थिरुपुलानी सुरेश सुधा अलगन मेमोरियल गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल एंटीक्विटीज काउंसिल स्टूडेंट ने इनकी खोज की है.

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इस संबंध में पुरातत्व परिषद के सचिव और रामनाथपुरम पुरातत्व अनुसंधान संस्थान के प्रमुख वी. राजगुरु ने कहा कि आठवीं कक्षा की छात्राओं मणिमेगलाई, दिव्यदर्शिनी और एस कनिष्कश्री ने छुट्टियों के दौरान अपने घर के सामने जमीन में गड्ढा खोदा, इस दौरान उन्हें एक प्राचीन सिक्का मिले.

सिक्कों पर राजराज चोलन प्रथम का नाम

इस के बाद उन्होंने सिक्के और उस स्थान का व्यक्तिगत रूप से निरीक्षण किया और कहा कि छात्रों ने को जो सिक्का मिला था उस पर राजाराज चोलन प्रथम का नाम खुदा हुआ था. क्षेत्र सर्वे के दौरान, चीनी मिट्टी की टाइल, आयरल ओर्स, आयरन स्लैग और लाल रंग के बर्तन के टुकड़े पाए गए.

उन्होंने बताया कि सिक्के के एक तरफ एक आदमी खड़ा है जो अपने हाथ में एक फूल पकड़े हुए है, और उसके बाईं ओर चार सर्किल हैं. उनके ऊपर एक अर्धचंद्र है. दाईं ओर एक त्रिशूल और दीपक है. सिक्के की दूसरी तरफ, एक आदमी अपने हाथ में शंख लिए बैठा है, और उसके बाएं हाथ के पास देवनागरी लिपि में तीन पंक्तियों में ‘श्रीराजराज’ लिखा हुआ है.

श्रीलंका पर विजय के बाद जारी किए गए थे सिक्के

राजगुरु ने कहा कि राजाराजन चोल द्वारा श्रीलंका पर विजय प्राप्त करने के बाद एझाक सिक्के सोने, चांदी और तांबे में जारी किए गए थे. यह तांबे का सिक्का है. एझाक सिक्के रामनाथपुरम जिले में पेरियापट्टनम, थोंडी, कालीमनकुंडु, अलगनकुलम उत्खनन और तटीय क्षेत्रों में पाए गए हैं.

उन्होंने कहा, “इन्हें श्रीलंका के उपयोग के लिए मुद्रित किया गया था और चोल शासन के तहत देश में प्रसारित किया गया था.” स्कूल के प्रिंसिपल महेंद्रन कन्नन और शिक्षकों ने प्राचीन सिक्के खोजने और इन्हें सुरक्षित रूप से सौंपने के लिए छात्रों की प्रशंसा की.

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