कोलकाता कांड के बाद से धरना प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों ने काम पर वापस लौटने का ऐलान किया है. हालांकि डॉक्टर सिर्फ आवश्यक सेवाओं के लिए ही काम करेंगे. उन्होंने हड़ताल को आंशिक रूप से खत्म करने का ऐलान किया है. आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर के साथ दरिंदगी के विरोध में 9 अगस्त के बाद से जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर धरना प्रदर्शन कर रहे थे. ममता सरकार लगातार इनसे काम पर वापस लौटने की मांग कर रही थी. सुप्रीम कोर्ट ने भी डॉक्टरों को वापस काम पर लौटने को कहा था.
जूनियर डॉक्टरों ने आज यानी 20 सितंबर से स्वास्थ्य भवन और कोलकाता में चल रहे धरना प्रदर्शन को खत्म करने का ऐलान किया है. शनिवार से सभी डॉक्टर काम पर वापस लौटेंगे और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर लोगों की मदद करेंगे. पूरे 41 दिनों के बाद डॉक्टर आवश्यक सेवाओं में वापस लौटेंगे.
प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों के संगठन के मेंबर डॉ. असफाक ने कहा कि हम यहां से विरोध वापस ले रहे हैं और शुक्रवार दोपहर 3 बजे सीबीआई कार्यालय तक रैली निकालेंगे. सीबीआई को हत्या और बलात्कार के मामले में तेज़ी लाने की ज़रूरत है. हम शनिवार से काम पर वापस आएंगे क्योंकि बाढ़ है और हमें लोगों की मदद करनी है. लेकिन हमारे सभी मेडिकल कॉलेजों में धरना मंच हैं, जहां हम भी बैठेंगे. हम शनिवार से अपनी सभी आवश्यक सेवाएं शुरू करेंगे. आवश्यक सेवाओं के अंतर्गत आने वाली सभी सेवाओं का ध्यान रखा जाएगा.
#WATCH | Kolkata, West Bengal | On Junior Doctors to call off their strike, Dr Aqeeb says, "There is flood issue and it's our duty that those who stood by us if they are facing any disaster, we should be there to help them. Hence, We have decided to leave this protest site, we… pic.twitter.com/evJd77x7m8
— ANI (@ANI) September 19, 2024
प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने कहा कि वे ओपीडी में काम नहीं करेंगे, लेकिन आपातकालीन और आवश्यक सेवाओं में आंशिक रूप से काम करेंगे. डॉक्टरों ने कहा, “हम शुक्रवार को सीबीआई कार्यालय तक मार्च के बाद स्वास्थ्य भवन के बाहर अपना धरना वापस ले लेंगे. हम पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा किए गए सभी वादों के क्रियान्वयन के लिए एक सप्ताह तक इंतजार करेंगे और अगर वे पूरे नहीं हुए तो हम काम बंद कर देंगे. न्याय के लिए हमारी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है.”
बता दें, कोलकाता कांड के विरोध में जूनियर डॉक्टरों के संगठनों ने धरने का ऐलान कर दिया था. इसके चलते बंगाल की स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई थी. हड़ताल पर बैठे जूनियर डॉक्टरों की 5 मांगें थीं, जिनमें से ममता सरकार ने 3 को मान लिया. खुद सीएम ममता बनर्जी ने डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल से बातचीत कर आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया था.
ममता बनर्जी ने डॉक्टरों की 5 में से तीन मांगों को मानते हुए चिकित्सा शिक्षा निदेशक और स्वास्थ्य सेवा निदेशक को हटा दिया. पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल को भी मंगलवार को हटाकर नए आईपीएस अधिकारी को जिम्मा सौंपा. इसके साथ ही कोलकाता पुलिस के उपायुक्त (उत्तर) को भी हटा दिया गया, जिनके खिलाफ पीड़ित परिवार ने रिश्वतखोरी का आरोप लगाया था.
सुप्रीम कोर्ट ने दी थी डेडलाइन
9 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा था कि डॉक्टर वापस काम पर लौटें और हम उन्हें दी जाने वाली सभी सुविधाएं सुनिश्चित करेंगे. अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि पुलिस यह सुनिश्चित करेगी कि सभी डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी परिस्थितियां बनाई जाएं, जिसमें अलग-अलग ड्यूटी रूम, शौचालय की सुविधा, सीसीटीवी कैमरे लगाने की व्यवस्था शामिल है. डॉक्टरों को सबसे पहले काम पर लौटना चाहिए और उन्हें काम पर वापस आकर अपना काम पूरा करना चाहिए.