राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) के शाही ईदगाह पार्क में रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा स्थापित किए जाने को लेकर पिछले कई दिनों से विवाद चल रहा था. मामला हाई कोर्ट तक गया लेकिन अब मूर्ति को स्थापित कर दिया गया है. 3 अक्टूबर की सुबह-सुबह रानी लक्ष्मी बाई की मूर्ति को क्रेन के जरिए मौके पर ले जाया गया और देर शाम को मूर्ति को स्थापित कर दिया गया है.
क्या है पूरा मामला?
नॉर्थ दिल्ली के सदर बाजार में शाही ईदगाह मस्जिद के बगल में बने डीडीए पार्क पर रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति को लगाने का मामला कुछ इस तरह है कि रानी लक्ष्मीबाई चौक से मूर्ति को वहां से हटाकर शाही ईदगाह के नजदीक बने डीडीए के पार्क में लगाने का फैसला किया गया. यह फैसला संबंधित अथॉरिटी के द्वारा इसलिए लिया गया, जिससे ट्रैफिक से होने वाले जाम को कम किया जा सके.
हाईकोर्ट ने लगाया था स्टे
इस मामले पर डीडीए के पार्क में वक्फ बोर्ड ने अपना मालिकाना हक जताते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. जिसकी वजह से 19 सितंबर तक हाईकोर्ट ने स्टे लगा दिया था और मालिकाना हक जताने पर दोनों पक्षों को कागजात दिखाने का समय दिया था. इसके बाद बुधवार को इस मामले में हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए डीडीए के पक्ष में फैसला दिया.
कोर्ट ने बताया नेशनल हीरो
दिल्ली के शाही ईदगाह पार्क में झांसी की रानी की मूर्ति लगाने की इजाजत देने वाले दिल्ली HC के सिंगल जज के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को HC की डबल बेंच ने खारिज किया था. दिल्ली HC ने टिप्पणी की थी कि हम महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं और आप एक महिला सेनानी की मूर्ति लगाने पर आपत्ति जता रहे हैं. हाई कोर्ट ने कहा वह नेशनल हीरो हैं, इसे धार्मिक रूप नहीं देना चहिए, सभी धार्मिक सीमाओं के परे वह एक नेशनल हीरो हैं.
दरअसल, शाही ईदगाह की जमीन से लगते हुए 30000 वर्ग मीटर की डीडीए की जमीन है और उस जमीन के छोटे से हिस्से में इस मूर्ति को लगाने का काम एमसीडी द्वारा किया जा रहा है.