रायपुर: छत्तीसगढ़ के स्टील प्लांट में उत्पादन बंद हो गया है. मिनी प्लांट एसोसिएशन ने सोमवार को रायपुर में दोबारा बैठक की. इस बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि वर्तमान विद्युत दरों के वृद्धि से स्टील उद्योग का चलना संभव नहीं है. लिहाजा अनिश्चितकाल के लिए रात 12 बजे से स्टील प्लांट बंद कर दिए गए हैं. हालांकि छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन एसोसिएशन के चेयरमैन अनिल नचरानी ने बताया कि वे अपनी समस्या को लेकर प्रदेश के पूर्व सीएम रमन सिंह और भूपेश बघेल से मुलाकात कर सकते हैं.
छत्तीसगढ़ में बिजली के बढ़े रेट के बाद स्टील प्लांट बंद: छत्तीसगढ़ में बढ़े हुए बिजली दरों के कारण स्टील उद्योग नहीं चल पाने की स्थिति के बारे में संस्था के प्रतिनिधिमंडल ने सीएम विष्णुदेव साय, लखन लाल देवांगन, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, वित्त मंत्री ओपी चौधरी और छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत कंपनी के सचिव और अध्यक्ष पी दयानंद से मुलाकात की. एसोसिएसन ने बताया कि प्रदेश में 2003 से 2018 के बीच मिनी स्टील प्लांट उद्योगों की विद्युत दर लगभग 4.50 रुपये के आसपास रहता था जिससे दूसरे राज्यों के उद्योगपतियों का छत्तीसगढ़ में रुझान बढ़ा और प्रदेश में लगातार नये लौह उद्योग स्थापित हुए.लेकिन साल 2018 में बिजली दरों में लगातार वृद्धि की गई. इस समय बिजली दर 7. 60 रुपये प्रति यूनिट कर दिया गया है. जिसकी वजह से नये लौह उद्योग लगना बंद हो गये और मिनी स्टील प्लांट उद्योगों के बंद होने की संभावना बढ़ गई है.
छत्तीसगढ़ के स्टील उद्योग: एसोसिएशन ने बताया कि छत्तीसगढ़ में लगभग 200 स्टील उद्योग (मिनी स्टील प्लांट) और 40 फेरो एलॉयस है जो छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल के कुल उत्पादन के लगभग 30 से 35 प्रतिशत के सबसे बड़े उपभोक्ता है. हर साल लगभग 700 करोड़ यूनिट खपत करने वाले उद्योग है. इस उच्च श्रेणी के सबसे ज्यादा बिजली खपत करने वाले उद्योगों से छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल को हर साल लगभग 8 हजार करोड़ से ज्यादा का राजस्व मिलता है. इसके अलावा जीएसटी के जरिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार को हर साल 9 हजार करोड़ से ज्यादा का राजस्व देते हैं. यह उद्योग लगभग ढाई से 3 लाख परिवारों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी दे रहे हैं. छत्तीसगढ़ के मिनी स्टील प्लांट उद्योग 105 स्पंज आयरन और 220 रोलिंग मिलों की बीच की कड़ी है.