महाकुंभ भगदड़ के बाद MP-UP बॉर्डर पर सख्ती, रीवा जिले में चाकघाट के पास रोके गए वाहन

प्रयागराज महाकुंभ में मची भगदड़ और लोगों की मौत के बाद यूपी-एमपी बॉर्डर पर सख्ती बढ़ा दी गई है. मध्यप्रदेश से महाकुंभ की ओर जाने वाली गाड़ियों को यूपी-एमपी बॉर्डर पर रीवा जिले के चाकघाट के पास रोक दिया गया है. यहां स्थानीय प्रशासन की तरफ से व्यवथाएं की जा रही हैं.

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इसके साथ ही मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने श्रद्धालुओं से संयम बनाए रखने और प्रशासन के निर्देशों का पालन करने की अपील की है. सीएम मोहन यादव ने ‘x’ पर लिखा:-

 

‘प्रयागराज महाकुंभ: आज मौनी अमावस्या के महापर्व पर तीर्थराज प्रयाग में देश-विदेश से पधारे करोड़ों श्रद्धालु पवित्र स्नान करने पहुंच रहे हैं. स्नान पर्व को दृष्टिगत रखते हुए रीवा जिले अंतर्गत मध्यप्रदेश-उत्तरप्रदेश की सीमा पर श्रद्धालुओं के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. प्रयागराज में भीड़ अधिक होने के कारण आज रीवा जिले के चाकघाट थाना अंतर्गत सीमा पर हजारों श्रद्धालुओं के वाहन सीमा पर रुके हुए हैं. हमारे पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारी मौके पर मौजूद हैं, जो वहां सभी श्रद्धालुओं के खाने-पीने से लेकर ठहरने की समुचित व्यवस्था का ध्यान रख रहे हैं, साथ ही स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों के लिए डॉक्टरों की टीम को भी मौके पर उपलब्ध कराया गया है. मैं सभी श्रद्धालुओं से अपील करता हूं कि प्रशासन के दिशा निर्देशों का पालन करें एवं संयम बनाए रखें.’

बता दें कि महाकुंभ के दौरान बुधवार की अलसुबह संगम पर भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई, जिसमें 10 से ज्यादा लोगों की मौत की आशंका है. तमाम घायल भी हुए हैं. मौनी अमावस्या पर लाखों श्रद्धालु पवित्र स्नान के लिए उमड़े थे.

 

12 वर्षों के बाद आयोजित होने वाले महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी को हुई और यह 26 फरवरी तक चलेगा. मेले की मेजबानी कर रही यूपी सरकार को उम्मीद है कि दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक समागम में कुल 40 करोड़ तीर्थयात्री आएंगे.

 

त्रिवेणी संगम – गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम – हिंदुओं द्वारा सबसे पवित्र माना जाता है, ऐसी मान्यता है कि महाकुंभ के दौरान और विशेष रूप से मौनी अमावस्या जैसी विशेष स्नान तिथियों पर इसमें डुबकी लगाने से लोगों के पाप धुल जाते हैं और उन्हें ‘मोक्ष’ या मोक्ष मिलता है. इस वर्ष 144 वर्षों के बाद ‘त्रिवेणी योग’ नामक एक दुर्लभ खगोलीय संयोग बन रहा है, जो इस दिन के आध्यात्मिक महत्व को और भी बढ़ा देता है.

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