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गिरती बिक्री और कर्ज़ से जूझते ‘रसोई के राजा’ Tupperware ने दाखिल की दिवालिया होने की अर्ज़ी

एक वक्त था, जब लगभग हर घर की रसोई में कम से कम एक लन्च बॉक्स या पानी की बोतल या कन्टेनर पर ‘Tupperware’ लिखा दिख ही जाता था, यानी टपरवेयर घर-घर में जाना-माना नाम हुआ करता था, लेकिन अब बिक्री में लगातार गिरावट और कर्ज़ के चलते कंपनी की हालत इतनी ज़्यादा बिगड़ चुकी है कि उसने और उसकी कुछ सब्सिडियरी कंपनियों ने संयुक्त राज्य अमेरिका में दिवालिया होने की अर्ज़ी दाखिल कर दी है. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, लगभग 70 करोड़ अमेरिकी डॉलर, यानी लगभग ₹5858.63 करोड़ के कर्ज़ में डूबी Tupperware ने बिक्री के रसातल में पहुंच जाने के बाद मंगलवार को Bankruptcy की अर्ज़ी दी है.

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टपरवेयर की अध्यक्ष तथा CEO लॉरी ऐन गोल्डमैन (Laurie Ann Goldman) ने कहा, “पिछले कुछ सालों में चौतरफ़ा चुनौतीपूर्ण आर्थिक माहौल के चलते कंपनी की वित्तीय हालत बुरी तरह प्रभावित हुई है… नतीजतन, कई रणनीतिक विकल्पों को खंगालने के बाद हमने तय कया है कि यही आगे बढ़ने का सबसे अच्छा मार्ग है… इस प्रक्रिया के फलस्वरूप हमें ज़रूरी लचीलापन हासिल होगा, ताकि सभी स्टेकहोल्डरों की सेवा के लिए बेहतर स्थिति में पहुंचने की खातिर हम डिजिटल-फर्स्ट, प्रौद्योगिकी-आधारित कंपनी बनने की दिशा में चलते रहने के लिए अलग-अलग रणनीतिक विकल्पों को अपना सकें…”

लॉरी ऐन गोल्डमैन के मुताबिक कंपनी की हालत कोरोनावायरस और उससे फैली महामारी COVID के दौरान सबसे ज़्यादा बिगड़ी थी, और उन्हीं झटकों से कंपनी अब तक उबर नहीं पाई है. COVID के दौरान और उसके बाद कंपनी की बिक्री में भारी गिरावट दर्ज की गई थी. उस दौर के बाद भी कच्चे माल की कीमतों में आए उछाल और मज़दूरी और माल-भाड़ा बढ़ जाने से कंपनी प्रभावित हुई.

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर के 70 से ज़्यादा मुल्कों में फैले कारोबार वाली कंपनी वर्ष 1946 में अर्ल टपर (Earl Tupper) द्वारा स्थापित की गई थी, और Tupperware की कुल संपदा 50 से 100 करोड़ अमेरिकी डॉलर के बीच आंकी जाती है, जबकि इस वक्त 70 करोड़ अमेरिकी डॉलर से ज़्यादा का कर्ज़ कंपनी पर है, जिसके बाद दिवालिया होने की अर्ज़ी दाखिल की गई है.

गौरतलब है कि टपरवेयर ने वर्ष 2023 में ही चेताया था कि यदि कर्ज़ चुकाने की व्यवस्था नहीं हो पाती है, तो दिवालिया होने की अर्ज़ी दी जा सकती है. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, अब कंपनी अपने लेनदारों से भी बातचीत कर रही है, ताकि तय किया जा सके कि दिवालिया होने के साथ-साथ कर्ज़ के प्रबंधन की व्यवस्था की जा सके.

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