बांग्लादेश में एक बड़ा राजनीतिक बदलाव देखने को मिला है. शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के स्टूडेंट विंग ‘स्टूडेंट लीग’ को बैन कर दिया गया है. नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में काम कर रही अस्थायी सरकार ने बुधवार को एक गजट जारी कर इसका ऐलान किया. स्थानीय शासन ने 2009 के आतंकवाद विरोधी कानून के प्रावधानों के तहत संगठन पर बैन लगाया है.
गृह मंत्रालय की अधिसूचना के मुताबिक, बांग्लादेश स्टूडेंट लीग को सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाली गतिविधियों में शामिल पाया गया है. इन गतिविधियों में हत्या, प्रताड़ना, कॉलेज परिसरों में उत्पीड़न, छात्र डॉर्मिटरी में सीट ट्रेडिंग, टेंडर में हेरफेर, बलात्कार, और यौन उत्पीड़न जैसी गंभीर आपराधिक गतिविधियां शामिल हैं.
जमात-ए-इस्लामी पर बैन हटाया, लेकिन… तस्लीमा नसरीन
Mr. Yunus is getting mad. He lifted the ban on Jamaat-e-Islami and its student wing, Shibir, but banned Chhatra League, the student wing of the Awami League, the oldest political party in Bangladesh. He lifted the ban on Islamic terrorist organizations like Hizb ut-Tahrir,…
— taslima nasreen (@taslimanasreen) October 23, 2024
अवामी लीग के स्टूडेंट विंग को बैन किए जाने के अंतरिम सरकार के फैसले पर बांग्लादेश की रहने वालीं तस्लीमा नसरीन ने कहा, “यूनुस पागल हो रहे हैं. उन्होंने जमात-ए-इस्लामी और उसके छात्र विंग शिबिर पर प्रतिबंध हटा दिया, लेकिन बांग्लादेश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी अवामी लीग की छात्र विंग छात्र लीग पर बैन लगा दिया. उन्होंने हिज्ब उत-तहरीर, अंसारुल्लाह बांग्ला टीम आदि जैसे इस्लामी आतंकवादी संगठनों पर प्रतिबंध हटा दिया.”
विरोधी स्टूडेंट ने किया था शेख हसीना का विरोध
स्टूडेंट लीग पर यह प्रतिबंध “एंटी-डिस्क्रिमिनेशन स्टूडेंट मूवमेंट” की अगुवाई कर रहे स्टूडेंट्स की मांग पर लगाया गया है. आंदोलन का नेतृत्व करते हुए इस छात्र संगठन ने शेख हसीना सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन किया था, और उन्हें सत्ता से बेदखल किए जाने की मांग की थी. आखिर में शेख हसीना को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा, और अभी वह भारत में रह रही हैं.
आंदोलन के दौरान स्टूडेंट लीग को बैन करने की मांग उठी
आंदोलन के दौरान स्टूडेंट लीग को बैन करने की भी मांग उठी थी. इस छात्र संगठन ने अस्थायी सरकार को अल्टीमेटम दिया था, जिसकी समय सीमा गुरुवार तक थी. अवामी लीग को बैन किए जाने के फैसले से यहां की राजनीति में बड़े बदलाव की संभावना है, जहां अब अवामी लीग के निशान मिटाए जा रहे हैं. विरोधी इस संगठन के हिंसक गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लगते रहे हैं.