भोपाल: मध्य प्रदेश में अब सरकारी और निजी स्कूलों के बच्चों को वन नेशन-वन स्टूडेंट योजना से जोड़ा जा रहा है. यूनिवर्सिटी की तर्ज पर अब 9वीं से 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को आधार कार्ड की तरह एक यूनिक आईडी बनाई जा रही है. इसे ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक एकाउंट रजिस्ट्री नाम दिया गया है. आधार नंबर की तरह यह यूनिक आईडी भी 12 अंकों की होगी. इस योजना की शुरुआत मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के गृह जिले उज्जैन से की गई है. इन विद्यार्थियों का डिजिटल लाकर भी बनाने की योजना है.
स्कूल-कॉलेज बदलने पर नहीं दिखाना होंगे फिजिकल डाक्यूमेंट
इस यूनिक आईडी के माध्यम से स्टूडेंट्स के स्कूल, बोर्ड, कालेज या विश्वविद्यालय बदलने पर उसके क्रेडिट नंबर स्वतः ट्रांसफर हो जाएंगे. यूनिक आईडी ऑनलाइन स्टोर हाउस होगा. जहां छात्रों के क्रेडिट स्कोर को डिजिटली या वर्चुअली स्टोर किया जाएगा. इसे शैक्षणिक संस्थाएं खुद ऑपरेट कर सकेंगी और विद्यार्थी स्टेक होल्डर होंगे. गौरतलब है कि प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में प्रायः यूनिक आईडी बनाने का काम पूरा हो चुका है. राजधानी के बरकतउल्ला विश्वविद्यालय द्वारा अपने ढाई लाख स्टूडेंट्स की यूनिक आईडी बनाई जा चुकी है. अब सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में 9-12वीं तक के स्टूडेंट्स की यूनिक आईडी बनाई जा रही है.
वन नेशन-वन स्टूडेंट योजना का ये होगा फायदा
भोपाल जिला शिक्षा अधिकारी एमके अहिरवार ने बताया कि ‘इस योजना का उद्देश्य छात्राओं की शैक्षणिक यात्रा को डिजिटल रूप से सुरक्षित करना है. यहां उनके शैक्षिक रिकॉर्ड, उपलब्धियां और अन्य जानकारी सुरक्षित रहेगी. इस आईडी के माध्यम से छात्रों का रिजल्ट, रिपोर्ट कार्ड, स्वास्थ्य कार्ड, लर्निंग आउटकम, ओलिंपियाड, स्किल ट्रेनिग और खेल उपलब्धियों जैसी जानकारी डिजिटली संरक्षित की जाएगी. भोपाल जिले के सभी हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों के बच्चों की यूनिक आईडी बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. इसमें स्टूडेंट्स के क्रेडिट नंबर सहित सभी जानकारी उपलब्ध रहेगी.